Explore

Search

November 21, 2024 4:45 pm

Our Social Media:

नामांतरण को लेकर झूठी शिकायत और बदनाम करने की साजिश !आवेदन जुलाई में पेश करके 6 माह पहले आवेदन करने के दावे की कलई खुल गई

बिलासपुर । तहसील आफिस में नायब तहसीलदार श्रीमति तुलसी मंजरी साहू के न्यायालय में पेश एक नामांतरण प्रकरण को लेकर बहस छिड़ गई है । नामांतरण आवेदन पेश करने वाला शख्स आवेदन को 11 माह हो जाने और नामांतरण नहीं हो पाने का आरोप लगाते हुए नायब तहसीलदार पर गंभीर आक्षेप लगाए है जबकि आवेदन पत्र और कोर्ट की कार्रवाई देखने से स्पष्ट है कि आवेदनकर्ता झूठ बोल रहा है और किसी भी तरह अपने आवेदन का जल्दी निराकरण चाहता है । आवेदनकर्ता ने नामांतरण के लिए आवेदन जनवरी में नहीं बल्कि जुलाई में पेश किया है और पेशी सुनवाई के दौरान वह स्वयं 2 बार उपस्थित नहीं हुआ यही नहीं उसने 24 नवम्बर को पेशी में उपस्थित होकर दबाव बनाया और गलत ढंग से दबाव पूर्वक पेश आने पर इसकी सूचना पुलिस को दी गई ।

उल्लेखनीय है कि अमनदीप बैस नामक व्यक्ति अपनी दादी के पैतृक मकान को अपने नाम पर करने नामांतरण आवेदन नायब तहसीलदार श्रीमति तुलसी मंजरी साहू के कोर्ट में प्रस्तुत किया था । दो दिन पूर्व उसने आरोप लगाया था कि उसके आवेदन पर 11 माह में भी कोई कारवाई नहीं हुई और अतिरिक्त तहसीलदार ने उसे धमकाया कि वह अब कलेक्टर ही नहीं बल्कि किसी के पास चला जाय अब उसके आवेदन पर नामांतरण नहीं होगा ।उसका यह भी आरोप था कि नायब तहसीलदार ने उससे पैसे की मांग की लेकिन जब उसके आवेदन और कोर्ट की कार्रवाई का दस्तावेज देखा गया तो मामला साफ हो गया । यह भी स्पष्ट हो गया कि उसके द्वारा लगाए गए आरोप सही नहीं है ।उसने आवेदन ही 13 जुलाई को

पेश किया था और कोरोना काल के चलते मामले पर तत्काल सुनवाई नहीं हो पाई । वैसे भी दान से प्राप्त भूमि/मकान और खरीदे गए जमीन /मकान के नामांतरण की प्रक्रिया अलग अलग है। ।दान से प्राप्त भूमि/मकान के नामांतरण में वक्त लगता है क्योंकि सारे वारिसान को कोर्ट में बुलाकर उनका बयान और सहमति ली जाती है जबकि खरीदे गए भूमि के नामांतरण में दो ही पक्ष क्रेता और विक्रेता होते है । अमनदीप बेस का मामला दान से प्राप्त मकान का मामला है

आवेदक ने कलेक्टर और आयुक्त से शिकायत की बात कही है पर सवाल यह उठता है कि जुलाई में आवेदन पेश कर जनवरी की झूठी जानकारी देने पर उसके खिलाफ क्या कारवाई होगी ?एक तो वैसे ही तहसील आफिस में नामांतरण के 500 से भी ज्यादा मामले लंबित है जिसका डिस्पोजल किया जाना जरूरी हो गया है ऊपर से अधिकारियों के खिलाफ झूठी शिकायत से अधिकारियों का मनोबल गिरता है ।बेहतर है लम्बे समय से पेंडिंग नामांतरण के विवाद रहित मामलो का निपटारा करने विभिन्न कोर्ट में विशेष सुनवाई की जाए ।

Next Post

सूत न कपास जुलाहे से लठ्ठा लठ्ठी ,ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के फार्मूले से उपजा विवाद मगर स्वास्थ्य मंत्री के बयान की वजह जानने का प्रयास किसी ने नहीं किया

Sat Dec 12 , 2020
बिलासपुर । ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस नेताओ में इन दिनों तलवार खींच गई है ।ऐसा लग रहा मानो भूपेश बघेल बस हटने ही वाले है मगर पूरी सच्चाई जाने बिना ही दोनो पक्ष की भौंहे तन गई है और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को मनोरंजन का […]

You May Like