बिलासपुर । ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस नेताओ में इन दिनों तलवार खींच गई है ।ऐसा लग रहा मानो भूपेश बघेल बस हटने ही वाले है मगर पूरी सच्चाई जाने बिना ही दोनो पक्ष की भौंहे तन गई है और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को मनोरंजन का मौका दे दिया गया है । यही नहीं स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को निशाने पर लिया जा रहा है जबकि मामला कुछ और ही है लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी इस विवाद में न केवल कूद गए है बल्कि ताकीद भी कर रहे है ।ऐसा लगता है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी वास्तविकता से अभी तक अनिभिज्ञ है ।
दरअसल पिछले रविवार को स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव बिलासपुर में सिम्स के आडिटोरियम में मितानिन सम्मान कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे इसी दौरान यह मुद्दा उठा था । एक पत्रकार ने सिर्फ इतना ही पूछा था कि कुछ दिन बाद आपकी सरकार के 2 साल पूरे हो रहे है और 6 माह बाद ढाई साल पूरे हो जायेंगे ।पत्रकार के इतना कहते ही श्री सिंहदेव पत्रकार की बात को काटते हुए बोले _आपका आशय शायद मुख्यमंत्री पद को लेकर है मगर मैं यह बताना चाहूंगा कि इसके लिए जो कुछ भी करना है पार्टी हाई कमान को करना है । आगे उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि हमने 2 दिन के मुख्यमंत्री भी देखे है और 15 साल के मुख्यमंत्री भी । उनका इशारा अर्जुन सिंह और डा रमन सिंह की ओर था । उन्होंने सीधे तौर पर भूपेश बघेल के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं कहा लेकिन इतना जरूर कहा कि मुख्यमंत्री के बारे में हाई कमान ही तय करता है अगला चुनाव वे जीते तो स्वास्थ्य विभाग जरूर लेना चाहेंगे ।
स्वास्थ मंत्री टी एस सिंहदेव ने सिर्फ पत्रकार के पूछे गए सवाल का बिना लाग लपेट के जवाब दिया ।शायद उन्हें यह पता ही नहीं रहा होगा कि उनके जवाब से राजनैतिक बवंडर खड़ा हो जायेगा और उनका बयान राष्ट्रीय स्तर का खबर भी बन जायेगा । उनके बयान को जिसने जैसा चाहा अपनी सुविधा संतुलन के हिसाब से छापा ,दिखाया और सोशल मीडिया में चलाया । श्री सिंहदेव के बयान से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का असहज होना स्वाभाविक है मगर इस बारे में उन्होंने जो गम्भीर प्रतिक्रिया दी है वह प्रदेश की कांग्रेस की राजनीति में दूरगामी परिणाम भी दे सकता है हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पूनिया ने ढाई साल के मुख्यमंत्री पद के फार्मूले को बकवास बताते हुए विवाद को शांत करने की कोशिश की है मगर लगता नहीं है कि यह विवाद शांत हो पायेगा ।
कांग्रेस की गुटीय राजनीति में यह मुद्दा कहीं विवाद को जन्म न दे दे लेकिन कांग्रेस के नेता ये क्यों नहीं समझ रहे कि कोई तो है जो प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओ के बीच दरार पैदा करना चाह रहे है और इस विवाद में उन्हें आंशिक सफलता भी मिल गई है ।भाजपा तो कांग्रेस की इस तनातनी से गदगद है ।भाजपा के नेता आक्रामक मूड में आ गए है ।दो साल से बिना काम धाम के बैठे भाजपा नेताओ को बड़ा मुद्दा मिल गया है मगर भाजपा नेताओ के मंसूबे पर कांग्रेस के नेता पानी फेर पाते है या नहीं यह देखना होगा ।