बिलासपुर फ्लैट दिलाने के नाम पर 85 लाख की ठगी करने के आरोप में कथित बिल्डर राजेश सेठ को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कार जेल तो भेज दिया है मगर आरोपी ने ठगी महज 85 लाख की नहीं बल्कि कतिपय बैंक के अधिकारियों से सांठगांठ करके एक ही जमीन को दो दो बैंक मै माड गेज रखकर वजंतम को प्लाट दि लाने का झांसा देकर करोड़ों का घोटाला किया है ।यदि पूरे मामले की जांच होती है तो करोड़ों का घोटाला सामने आएगा ।आरोपी ने तो गौठान कि जमीन पर भी कब्जा कर उसमे फ्लैट बनवाए और लोगो से ठगी की।
, विनायका हाइट्स, विनायका बिल्डर फ्लैट दिलाने के नाम पर आरोपी राजेश सेठ पकड़ा गया है । बिलासपुर पुलिस करोड़ों की ठगी के मामले को केवल 54 लाख में तब्दील कर रही है । असल में 54 लाख की ठगी केवल फ्लैट बेचने को लेकर है असल खेल तो जमीन के फर्जी दस्तावेज पर 2 बैंकों से लोन लेने का है। इस मामले में बैंक शिकायतकर्ता बनकर सामने नहीं आ रहे हैं, राजेश सेठ और उसकी पत्नी रजनी सेठ का बिलासपुर में व्यवसाय कुछ ही साल पुराना है। दिल्ली से एनजीओ के नाम पर काम करने आए दंपत्ति ने इतनी जल्दी नाम कैसे कमा लिया विनायका हाइट जिस जमीन पर बनाई गई है उसका मूल रजिस्ट्री पेपर केबल 1500 वर्ग फिट का है। 15 सौ स्क्वायर फीट के प्लाट पर 4 मंजिला अपार्टमेंट पास हो ही नहीं सकता, ऐसा करने के पहले राजेश सेठ ने अपनी जमीन के पास में लगी गांव ठान की जमीन पर कब्जा किया। पट्टे की जमीन पर कब्जे के आधार पर रजिस्ट्री हुई किसी स्थानी नेता की शह पर निगम से स्वयं के उपयोग के नाम पर नक्शा पास हो गया। शातिर बिल्डर ने अपार्टमेंट बनाने के पूर्व ही इसी जमीन पर बैंक ऑफ बड़ौदा से एक बड़ी ऋण राशि प्राप्त की साथ में इलाहाबाद बैंक से भी एक लोन प्राप्त किया। सूत्र बताते हैं कि बिल्डर ने व्यापार विहार क्षेत्र के एक जमीन 50 लाख में क्रय की और उसे एक जर्दा व्यापारी को 1 करोड़ 50 लाख में बेचा। पूरे रजिस्ट्री मामले में टैक्स चोरी का एक लंबा मामला बनता है , जिस पर स्थानीय आयकर विभाग को शिकायत भी की गई है और विभाग ने बिल्डर को नोटिस भी जारी किया है। सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो इसी बीच बिल्डर ने नगपुरा, धमनी क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का काम भी किया था और कई लाख रुपए बुकिंग एमाउंट लिया था यह जमीन भी इलाहाबाद बैंक में मॉर्गेज रखी गई थी । बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपनी रिकवरी के लिए ट्रिब्यूनल में केस दाखिल किया है। असल में ठगी का आरोपी फरार नहीं था वह पिछले कई महीनों से स्थानीय दलालों के मार्फत अपनी निर्विवाद जमीन को बेचकर लोगों का पैसा चुका था। और अंत में यहां से पैसा बटोर कर भागने के फिराक में था । गाजियाबाद से उसकी गिरफ्तारी महज संयोग है। लोगों का कहना है कि पुलिस की टीम दिल्ली मेडिकल कॉलेज फर्जी दाखिले के संबंध में गई हुई थी। और अभी भी वहां पर डेरा डाल कर आई है असल में मेडिकल कॉलेज फर्जी दाखिला की एफ आई आर के पीछे भी राजनैतिक दबाव काम कर रहा है इस प्रकरण में मामला जितना एफ आई आर में बताया जा रहा है उससे ज्यादा का है ।²10 माह फरारी काटने के बाद ठगी के आरोपी को तारबहार पुलिस ने गाजियाबाद से गिरफ्तार कर लिया है,आरोपी और आरोपी की पत्नी पर अजाक थाने में 22 फरवरी 20 को एक्ट्रोसिटी का व 28 जून व 7 जुलाई 20 को तारबहार थाने में 420 का अपराध दर्ज हुआ था,आरोपी अजाक थाने में ही अपराध दर्ज होने के बाद से फरार हो गया था इस दौरान आरोपी ने अग्रिम जमानत अर्जी अदालत में लगाई थी जो खारिज हो गयी थी।इस दौरान आरोपी पर प्रार्थी सन्तोष राय ने 34 लाख रुपये ले कर रजिस्ट्री होने के बाद भी कब्जा नही देने का एफआईआर तारबहार थाने में दर्ज करवाया इसके बाद शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने भी 25 लाख में रजिस्ट्री करवाने के बाद भी कब्जा नही देने की एफआईआर दर्ज करवाई पुलिस एफआईआर दर्ज कर लगातार आरोपी राजेश सेठ को खोज रही थी पर आरोपी लगातार भेष बदल बदल कर पुलिस को चकमा दे रहा था ,इसी बीच तारबहार पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी गाजियाबाद में किराए के मकान में रह रहा हैं,जिस पर पहले से ही दिल्ली में मौजूद साईबर सेल बिलासपुर की टीम को आरोपी के पता तलाश करने को कहा गया और तारबहार से भी पुलिस पार्टी को रवाना किया गया जहाँ पुलिस ने लगातार रेकी कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी ने 2018 में खुद की पार्टी आप सब की अपनी पार्टी बना कर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था पर वोटो का आंकड़ा सैकड़ो में भी नही पहुँच पाया
प्रकरण की विवेचना तारबहार थानेदार प्रदीप आर्या के निर्देश पर एसआई पीआर साहू और एएसआई उमेश उपाध्याय ने जांच कर आरोपी बिल्डर के खिलाफ साक्ष्य जुटाए और आरोपी को अदालत में पेश कर जेल रिमांड में जेल दाखिल करवाया ।