बिलासपुर । आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा था । मस्तूरी ब्लाक के भुरकुंडा गांव में 10 मवेशियों की मौत के लिए वहां के पंचायत सचिव को निलंबित कर दिया गया क्योकि विपक्ष यदि पशुओं की मौत के लिए जिम्मेदार कौन था यह सवाल करे तो बताने के लिये सचिव को बलि का बकरा बना दिया गया । आश्चर्य तो यह है कि सचिव को जिला पँचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने निलंबित किया है जबकि उसे यह अधिकार ही नही है । निलंबन का अधिकार जिला पंचायत के सीईओ को है यानि सचिव अपने निलंबन के खिलाफ कोर्ट जाए तो उसे तत्काल राहत मिल जाएगी ।
प्रदेश सरकार द्वारा गौठान योजना चालू किये जाने पर योजना के सही क्रियान्वयन पर गम्भीरता पूर्वक ध्यान दिए जाने के बजाय पशुओं की मौत पर आनन फानन निर्णय लेते हुए ऐसे अधिकारी से निलंबन आदेश जारी करवाया जा रहा है जिसे निलंबित करने का अधिकार ही नही है ।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विकास में पंचायत के सचिव को सबसे छोटा कर्मचारी माना जाता है मगर उसे भी निलंबित करने का अधिकार सिर्फ जिला पंचायत सीईओ को है । मस्तूरी के भुरकुंडा गांव के मामले में प्रशासनिक चूक यह हुई है कि वहां के सचिव को अतिरिक्त सीईओ ने निलंबित कर दिया है । यह बड़ी चूक कैसे हो गई और सिर्फ पंचायत सचिव ही दोषी कैसे हो गया यह यक्ष प्रश्न है । भुरकुंडा गांव में 10 मवेशियों की मौत हो जाने पर आज कलेक्टर और अन्य अधिकारी वहां पहुंचे थे तभी यह अंदेशा हो गया था कि किसी न किसी पर कार्रवाई की गाज गिरेगी । कार्रवाई के नाम पर पंचायत सचिव को बलि का बकरा बना दिया गया ताकि सवाल उठने पर बताया जा सके कि सचिव के खिलाफ कार्रवाई के बाद मामले की जांच की जा रही है ।