बिलासपुर। रिक्शा चलाने वाले भोंदू दास के नाम पर करोड़ों की जमीन का मामला और उच्च स्तर पर भूमाफियाओं के कारनामे के चर्चित मामले में अब पुलिस ने तत्कालीन पटवारी अशोक जायसवाल को भी गिरफ्तार कर लिया है ।इसके पहले 4 और लोगो की गिरफ्तारी हो चुकी है ।सवाल यह उठता है कि अकेले सिर्फ पटवारी ही कूट रचना करके रिक्शा चालक के नाम पर करोड़ों की जमीन को राजस्व रिकार्ड में कैसे दर्ज करवा सकता है ?या तो पटवारी पर ऐसा करने उच्च स्तर का दबाव हो सकता है या फिर राजस्व विभाग के बड़े अधिकारियों की इसमें संलिप्तता हो सकती है ।कुल मिलाकर भोंदू दास के नाम पर राजस्व विभाग पूरे शहर को भोंदू बनाने पर तुला हुआ है ।जमीन अफरातफरी के इस बड़े मामले में जो भी बड़े लोगो का हाथ है उनके गर्दन तक पुलिस की हाथ पहुंचनी ही चाहिए । बड़े भोंदू दासों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है ।अभी तक की जांच में पुलिस ने पाया है कि पटवारी ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर भू माफियाओं के साथ मिलीभगत कर करोड़ो की शासकीय भूमि बेच डाली। इस मामले में डिप्टी कलेक्टर के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। जिसमें विवेचना के बाद साक्ष्य पाए जाने पर आरोपी पटवारी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पटवारी वर्तमान में तहसील कार्यालय बिलासपुर के कानूनगो शाखा में पदस्थ था। पूर्व में मामले के चार आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
चिल्हाटी की भूमि खसरा नम्बर 224/3, व 232/12, रकबा क्रमशः 4.95 एकड़ व 1 एकड़ को आवेदक भोंदूदास ने गुलाल वल्द सुधवा निवासी गतौरा जिला बिलासपुर से 1 मई 1976 को पंजीकृत विक्रय विलेख के माध्य्म से खरीदना बताया। भोंदूदास ने बताया कि उक्त भूमि में वह काबिज है और खसरा नम्बर 267/18 रकबा 2 एकड़ भूमि पूर्व अभिलेखो में उसका नाम था पर वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में उसका नाम त्रुटिवश विलोपित हो चुका है। उसने अभिलेख सुधार का आवेदन तहसीलदार बिलासपुर तहसील के समक्ष वर्ष 2015- 16 में पेश किया था। उक्त राजस्व प्रकरण में पटवारी प्रतिवेदन व अन्य दस्तावेजो के आधार पर 22 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने न्यायालयीन आदेश जारी करते हुए भोंदूदास के पक्ष में खसरा नम्बर 224 में 4.50 एकड़ व खसरा नम्बर 232 में 1 एकड़ भूमि नामांतरित करने का आदेश जारी कर दिया। मामले के उछलने पर मुख्यमंत्री के द्वारा इसका संज्ञान लिया गया था। और जांच के निर्देश दिए गए। जिसके बाद एडिशनल एसपी ग्रामीण रोहित झा व राजस्व टीम की सँयुक्त जांच कमेटी ने इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौपी थी।
जिसके बाद जमीन अपने नाम कर टुकड़ो में विक्रय करने वाले भोंदूदास के खिलाफ सरकंडा थाना में अपराध पंजीबद्ध कर उसे गिरफ्तार किया गया था। जांच आगे बढ़ने पर शासकीय जमीन की अफरा तफरी व बेचने के सम्बंध में साक्ष्य मिलने पर पूर्व में भोंदूदास के अलावा सुरेश मिश्रा, हैरी जोसेफ, रामकुमार यादव को भी गिरफ्तार किया गया था। प्रकरण की जांच में दस्तावेजो के परीक्षण में पता चला कि तात्कालिन पटवारी अशोक जायसवाल (60) पिता स्व हीरालाल जायसवाल निवासी ग्राम धनिया थाना सीपत ने कूटरचित दस्तावेज तहसीलदार के न्यायालय में पेश कर आरोपी भोंदूदास के पक्ष में जमीन का नामांतरण व अभिलेख दुरस्ती करवा दिया था। जिस पर उसे नोटिस देकर आज मोपका चौकी तलब किया गया और पूछताछ के उपरांत गिरफ्तार कर लिया गया है।
वर्तमान में कोरिया में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर संदीप ठाकुर ने मामले में सरकंडा थाना में एफआईआर दर्ज करवाई है। वह 2015- 16 में बिलासपुर में तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे। उनके द्वारा ही भोंदूदास के पक्ष में भूमि के अभिलेख दुरस्ती का न्यायालयीन आदेश जारी किया गया था। अब उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाते हुए बताया है कि भोंदूदास ने आवेदन के साथ उपपंजीयक बिलासपुर के कार्यालय की पंजीकृत बैनामा की प्रति, बी-1 किस्तीबंदी, खसरा पांचसाला आदि की सत्यप्रतिलिपि संलग्न किया था। जिस पर विधिवत न्यायालयीन कार्यवाही, इश्तिहार प्रकाशन, अनावेदक गणों को नोटिस, हल्का पटवारी का प्रतिवेदन, आवेदक व स्वतंत्र साक्षियों का शपथ पूर्वक कथन कराया गया। तथा विधिवत न्यायालयीन कार्यवाही कर कोई आपत्ति प्राप्त नही होने पर भोंदूदास के पक्ष मे अभिलेख दुरस्ती का न्यायालयीन आदेश जारी कर दिया गया था। सँयुक्त जांच टीम को उक्त दस्तावेज प्रथम दृष्टया नकली प्रतीत होने पर संदीप ठाकुर ने एफआईआर दर्ज करवाया था । तत्कालीन हल्का पटवारी अशोक जायसवाल वर्तमान में बिलासपुर तहसील ऑफिस के कानूनगो शाखा में अटैच हैं।
,परदे के पीछे भूमाफियाओं की भूमिका
प्रकरण में गिरफ्तार मुख्य आरोपी भोंदूदास रिक्शा चालक है। इतना बड़ा सेटअप जमा करोड़ो की शासकीय भूमि को अपने नाम मे करवाने हेतु दस्तावेज तैयार करवा बेचना उसके अकेले के बस की बात नही है। शहर के कई रसूखदार भूमाफियाओं की इसमें भूमिका की चर्चा न्यायधानी में है। जिनके द्वारा भोंदूदास को मोहरा बना कर यह खेल खेला गया था। कुछ भू माफियाओं के द्वारा पहले भोंदूदास के नाम पर जमीन करवा फिर अपने परिजनों के नाम से पॉवर ऑफ एटार्नी लेकर टुकड़ो में बेचे जाने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना था कि भोंदूदास ने इस खेल में आर्थिक लाभ प्राप्त किया है और उसके एकाउंट में पैसे गए हैं। पुलिस की राडार में शहर के कई रसूखदार भू माफिया भी है। इसके अलावा राजस्व व पंजीयन दफ्तर के कर्मियों व अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जिनके खिलाफ जांच के बाद साक्ष्य मिलने पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है।