बिलासपुर । शहर के प्रताप टाकीज में बने केयर एंड क्योर अस्पताल में भर्ती कोरोना पीड़ितों के परिवारों के सब्र का बांध आज टूट पड़ा ।इलाज के नाम पर लाखो रुपए की सिर्फ वसूली और भर्ती मरीज से कई कई दिन तक नही मिलने देने उनकी हालत कैसी है यह भी नही बताने से बेजार हो परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया ।सूचना पर पुलिस बल आई और अस्पताल और प्रवंधन के साथ पीड़ित परिवार के लोग कुछ अप्रिय न कर बैठे इसके लिए सुरक्षा में लग गए तहसीलदार भी आए तो वे गेट से ही पता कर लौट गए की क्यों मारपीट तो नही हुई है जिला प्रशासन इस पर शाम तक कोई एक्शन नहीं लिया ।इस अस्पताल की लगातार शिकायते मिल रही है कोरोना मरीजों का किस तरह इलाज हो रहा और भारी भरकम राशि परिजनों से क्यों वसूला जा रहा इसकी कोई जांच नही । हां इस अस्पताल के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी वरुण राजपूत ने सप्ताह भर पहले इसी तरह की शिकायतों पर अस्पताल प्रबंधन को जमकर धमकाया था और वसूली को लेकर कड़ी ताकीद दी थी ।इलाज कैसा हो रहा इस अस्पताल में इसका उदाहरण आज मिल गया जब दोपहर 1 बजे तक यहां 8 लोगो के मरने की खबर आई यानि इलाज के लिए नही बल्कि मौत की संख्या में रिकार्ड कायम करने के लिए यह अस्पताल अब चर्चित हो रहा ।अभी भी वक्त है जिला प्रशासन इस पर सख्त निर्णय ले और अवैध वसूली पर रोक लगाए ।
राजधानी के बाद प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर में जहा एक तरफ कोरोना का तांडव जारी है.. वही दूसरी ओर निजी अस्पताल मरीजो की जान से खिलवाड़ करने से बाज नही आ रहे है.. मरीजों के परिजनों का कहना है कि.. जमीन का भगवान कहे जाने वाले निजी अस्पताल के डॉक्टर चंद पैसो के लालच में मौतो के आग़ोश में धकेलने में कोई गुरेज नही कर रहे है.. ताजा मामला बिलासपुर के प्रताप चौक के निजी अस्पताल केयर एंड क्योर में आया है जहाँ पिछले 24 घण्टो में अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही से 08 लोगो की मौत हो गई है.. जीवन भर की गाढ़ी कमाई कर अपनो को बचाने की आस में अपनों की मौत की खबर सुनते ही परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया..
परिजनों का आरोप है कि.. पैसे खत्म हो जाने के बाद दूसरे अस्पतालों में इलाज करने के लिए जब हम मरीजों को लेने पहुंचे तो थोड़ी देर में डिस्चार्ज करने का नाम लेकर अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को मृत घोषित कर दिया.. निजी अस्पताल में हो रही लापरवाही को लेकर रोज वीडियो वाइरल हो रहे है तमाम मीडिया इन खबरो के माध्यम से अस्पतालों की नाकामी बता रहे है.. परिजन चीख- चीख पर हॉस्पिटल की अव्यवस्था को कोस रहे है.. सारे जिम्मेदार अफसर और जनप्रतिनिधि मीडिया देख रहे पर जांच के नाम पर 1000 का 3000 रुपए लेने पर एक सेंटर को सील करने वाला स्वास्थ्य महकमा जाग रहा न नोडल अफसर नियुक्त करने वाला जिला प्रशासन..
लगता है कि किसी बड़ी अनहोनी के बाद ही जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद से जागेगा.. 8 लोगों की जान जाने के बाद परिजनों के हंगामे के दौरान जब मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे तो उन्हें भी अंदर जाने नहीं दिया जा रहा था अपनी नाकामी छुपाने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने गेट में बकायदा गेटकीपर को समझाइश देकर रखी थी ताकि अस्पताल की करतूत बाहर ना जा सके और मौत का खेल अस्पताल द्वारा यूं ही खेला जा सके..