बिलासपुर । जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह इन दिनों चर्चा के केंद्र बिंदु बने हुए हैं क्योंकि वह पिछले 15 सालों से बिलासपुर में ही पदस्थ हैं और उनके खिलाफ विभाग के परियोजना अधिकारी कई पर्यवेक्षक आदि ने गंभीर आरोप लगाते हुए अनेकों शिकायतें की है। अभी हाल ही में सरकंडा जोन में पदस्थ पर्यवेक्षक श्रीमती अणिमा मिश्रा ने भी सुरेश सिंह के विरुद्ध आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई जिस पर महिला एवं बाल विकास विभाग के डायरेक्टर श्रीमती दिव्या मिश्रा द्वारा एक जांच कमेटी गठित की गई । है यह तीन सदस्यीय जांच कमेटी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह के खिलाफ लगाए गए मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना की जांच करेंगे। जांच कमेटी में आरजे कुशवाहा, श्रीमती निशा मिश्रा और श्रीमती अभिलाषा बेहार हैं जो शिकायतों की जांच कर 15 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग को प्रस्तुत करेंगे ।
अब यहां पर सवाल यह उठता है कि जिस जिला कार्यक्रम अधिकारी के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों की जांच विभागीय स्तर पर की जानी है उस आरोपित अधिकारी को उसी पद पर बिलासपुर में ही रखा जाना क्या जायज होगा क्योंकि अधिकांश मामलों में यह देखा गया है कि जिस अधिकारी के खिलाफ जांच कमेटी बैठती है तो जांच प्रभावित ना हो इस उद्देश्य से आरोपित अधिकारी को उस पद से हटाकर अन्यंत्र स्थानांतरित कर दिया जाता है लेकिन लेकिन अणिमा मिश्रा की शिकायतों के मामले में जांच कमेटी तो गठित कर दी गई है लेकिन आरोपित अधिकारी सुरेश सिंह अभी भी यही अपने पोस्ट पर बने हुए हैं ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है? उनके पद पर बने रहने से निश्चित ही वे अपने विरुद्ध लगे आरोपों की जांच को प्रभावित कर सकते हैं। बेहतर यही होता कि महिला एवं बाल विकास विभाग की डायरेक्टर जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह के विरुद्ध लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए कमेटी की घोषणा करने के साथ ही जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश सिंह को बिलासपुर से कही और भेजा जाता ताकि यह सुनिश्चित हो जाता कि उसके विरुद्ध लगे आरोपों की जांच निष्पक्षता से होगी चूंकिआरोपी सुरेश सिंह के संबंध में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं हो सका है इसलिए उनके खिलाफ लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच पर संदेह होना लाजमी है। इधर जिला कार्यक्रम अधिकारी से प्रताड़ित और भी कई परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षकों द्वारा दबी जबान से यह कहा जा रहा है कि जिला कार्यक्रम अधिकारी जब तक यहां रहेंगे वे अपने विरुद्ध लगे आरोपों की जांच को प्रभावित करते रहेंगे।