असलियत में कोयले की कमी नहीं कुछ और ही है। दरअसल बिजली सबको चाहिए, लेकिन इसकी कीमत चुकाए कौन ?
कोल इंडिया बिजली कंपनियों को जो कोयला देती है उन कंपनियों पर कोल इंडिया का करीब 12300 करोड़ रुपए बकाया है। ये बिजली कंपनियां वितरण कंपनियों को जो बिजली सप्लाई करती हैं उन वितरण कंपनियों का करीब 1.1 लाख करोड़ रुपया बकाया है। और इन वितरण कंपनियों पर उपभोक्ताओं का करीब 5 लाख करोड़ बकाया है।
अब यह जान लीजिए असल उपभोक्ता कौन हैं जिन पर इतना बकाया है ! वो उपभोक्ता हैं बड़े बड़े वामिये, कोंगिए नेता और उनकी राज्य सरकारें जो वोट बैंक बढ़ाने के लिए किसानों को फ्री बिजली दे रही हैं और आप जैसी पार्टियां दिल्ली और अब पंजाब में आम जनता को फ्री बिजली दे रही हैं लेकिन उसका बरसों भुगतान नहीं करती हैं।
अब कोयले की वर्तमान स्थिति भी देख लें ।
2021-22 में रिकॉर्ड 777MT Coal का उत्पादन हुआ है और अभी 72.5MT का Coal स्टॉक देश में उपलब्ध है।
प्रतिदिन 2.39MT Coal खपत के अनुसार, Power कंपनियों के पास 21.55MT Coal स्टॉक उपलब्ध है जो 9 दिन के लिए पर्याप्त है।
Coal Ministry प्रतिदिन 2MT अतिरिक्त Coal सप्लाई भेज रही है Power कंपनियों को।
Coal मिनिस्ट्री द्वारा Power कंपनियों को 16.7MT का अतिरिक्त Coal स्टॉक खरीदने के लिए आफर दिया जा चुका है।
तो असल मुद्दा कोयले की कोई कमी नहीं, देश में कमी नेताओं राज्य सरकारों का फ्री बिजली का नारा है। दूसरा मुख्य कारण बेतहाशा बिजली चोरी शायद 50% से भी ज्यादा हो, जो बिजली कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं और जिस पर कोई अंकुश नहीं। अभी तक यही तत्व देश को बिजली के घोर संकट के गर्त में धकेल सकते हैं।