कुछ रसूखदार चैनल वालो की कोशिश कि शहर में चैनलो का फिर से प्रभुत्व स्थापित किया जाए
बिलासपुर।शहर में कुछ साल पहले तक स्थानीय चैनल वालों में प्रभुत्व कायम करने और एक छत्र राज करने को लेकर काफी झगड़े हुए थे यहां तक कि गैंगवार के चलते पुलिस को धारा 307 तक का अपराध दर्ज करना पड़ा था ।रसूखदार चैनल वाले किसी भी तरह शहर के पूरे क्षेत्र में में अपना दबदबा कायम करना चाहते थे ।और इसके लिए कई चैनल वाले अपने चैनल का ग्राहक ज्यादा से ज्यादा बनाने तरह तरह के हथकंडे अपना रहे थे इसी बीच सोशल मीडिया का तेजी से चलन में आ जाने के कारण ज्यादातर लोग लोकल चैनल से दूरी बना ली क्योंकि मोबाइल में वो सारी चीजे तत्काल देखने को मिलने लगी जो चैनलो में कई घंटे बाद देखने को मिलती थी ।इससे लोकल चैनलो और केबल ग्राहकों का दायरा सिमट गया ।
पहले लोकल चैनलो के संचालकों के बीच लगातार विवाद होते रहे यहां तक कि प्रसारण क्षेत्र को लेकर भी विवाद मारपीट में बदल जाती थी ।एक दूसरे के केबल वायर काट देने की घटनाएं होती रही ।जिला प्रशासन के हस्तक्षेप से लोकल चैनल और केबल ऑपरेटरों को उनका क्षेत्र निर्धारण किया गया ।केबल से प्रसारण सिर्फ बिलासपुर ही नही बल्कि पूरे जिले में हो रहा था इसमें भी केबल संचालको को अपनी ओर करने भारी दबाव बनाया जाता था ।तब का दौर अलग ही था हालाकि शहर में अभी कई केबल संचालकों का धंधा चल रहा है लेकिन टाटा स्काई , जिओ, एयर टेल आदि के सीधे प्रसारण सुविधा का लाभ मिलने से बहुतायत लोगो ने केबल की सुविधा बंद करवा दी है ।
बदली हुई परिस्थिति और लोकल चैनलो का धंधा मंदा हो जाने के बाद पता नही रसूखदार लोकल चैनलो जिसमे राजधानी के भी लोकल चैनल वाले शामिल है ,की गोपनीय बैठक शहर के एक बड़े होटल में आयोजित की गई थी जिसमे केबल ऑपरेटरों को भी बुलाया गया था ।बैठक में केबल व्यवसाय और केबल के द्वारा घरों तक फिर पहुंचने रणनीति बनाई गई लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं कि शहर में एक बार फिर से केबल वार ,झगड़े ,मारपीट की घटनाएं नही होगी ।यह ऐसा इसलिए कि लोकल चैनल चलाने वालों में कई रसूखदार है जो पूर्व में ऐसे धंधे के काफी अनुभवी है जिस धंधे को सरकार ने उनसे छीन ली है ।