बिलासपुर । भारतीय जनता पार्टी ने अंततः नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को पद से मुक्त करते हुए चांपा के विधायक और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष के रूप में चयनित कर दिया है। नारायण चंदेल पिछड़ा वर्ग के नेता है भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़ा वर्ग के ही बिलासपुर सांसद अरुण साहू को 4 दिन पहले ही प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया है ।इस तरह पिछड़ा वर्ग के 2 नेताओं को भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है ।
यह एक संयोग है कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों बिलासपुर संभाग के हैं इस लिहाज से भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में बिलासपुर का दबदबा बढ़ गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी बिलासपुर संभाग अंतर्गत सकती विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं ।इस तरह विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही एक ही जिले अर्थात जांजगीर के निवासी हैं ।नवनियुक्त नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भले ही भाजपा के पितृ पुरुष लखीराम अग्रवाल के सानिध्य में राजनीति की शुरुआत की लेकिन वर्तमान में वे झारखंड के राज्यपाल पूर्व सांसद रमेश बैस की भांजा दामाद हैं ।कहा तो यह भी जा रहा है कि राज्यपाल रमेश बैंस की अनुशंसा पर नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के बनिस्बत बिलासपुर संभाग में आशातीत सफलता मिली थी और अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव तथा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को भाजपा ने सिर्फ बिलासपुर संभाग की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है ।नेता प्रतिपक्ष चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी पशोपेश में थी जाति समीकरण के हिसाब से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद पर सांसद अरुण साहू को नियुक्त करने के पीछे साहू समाज को यह संदेश दिया गया कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश के करीब 40 लाख साहू मतदाताओं के साथ है यानि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में साहू मतदाताओं को खुश करके चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है। इसके लिए उन्हें आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को हटाना पड़ गया। तब यह माना गया कि भारतीय जनता पार्टी यदि नेता प्रतिपक्ष को भी बदलना चाहती है तो किसी आदिवासी विधायक या सामान्य वर्ग से निर्वाचित विधायक को मौका देगी ।यही नहीं बिलासपुर सांसद को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौपे जाने जान के बाद यह माना जा रहा था कि नेता प्रतिपक्ष यदि बदला जाता है तो रायपुर संभाग को महत्त्व दिया जाएगा ताकि रायपुर और बिलासपुर के बीच संतुलन बना रहे लेकिन पूरे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की एक और जाति कुर्मी जिसके पूरे प्रदेश में 30लाख से भी अधिक मतदाता हैं को इग्नोर करना नुकसानदायक हो सकता है ।यह मानकर भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर और बिलासपुर के बीच संतुलन की परवाह न करते हुए कुर्मी समाज से विधायक नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई ।अब सवाल यह उठता है कि पिछले 15 वर्षों से छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी का कमान संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक की पार्टी में अब क्या उपयोगिता रहेगी? चुनावी वर्ष है इसलिए भारतीय जनता पार्टी इन दोनों नेताओं को नेपथ्य में भेजने के बजाय कोई न कोई पद से इन दोनों नेताओं को उपकृत कर दिया जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा .।इसके लिए राज्यपाल तथा राज्यसभा सदस्य के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में भी स्थान मिल सकता है।वैसे डा रमन सिंह अभी पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो हैं ही । नवनियुक्त प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के लिए अब जबकि विधानसभा चुनाव को सिर्फ 1 साल बचे हैं, प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के रूप में कांटों का ताज मिला है और दोनों के समक्ष कई गंभीर चुनौतियां हैं सबसे बड़ी चुनौती दोनों के समक्ष प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का न केवल जनाधार बढ़ाना है बल्कि 14 सीटों को बढ़ाकर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने के लिए भी संघर्ष करना है। जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष विपक्षी दलों की कोई दाल नहीं गल रही है ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार भारतीय जनता पार्टी के समक्ष चट्टान की तरह खड़ी है अरुण साहू और नारायण चंदेल को उस चट्टान को रेत में बदलने की जिम्मेदारी दी गई है हालांकि भाजपा संगठन संघ के कई ऐसे तमाम बड़े नेता जो पर्दे के पीछे रह कर रणनीति तैयार करते हैं, ऐसे नेताओं का भी अरुण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल को मार्गदर्शन मिलेगा ।छत्तीसगढ़ भाजपा में आमूलचूल परिवर्तन का सिलसिला शुरू हो गया है प्रदेश प्रभारी से लेकर क्षेत्रीय संगठन मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ,,नेता प्रतिपक्ष बदले जाने के बाद अब संभव है जिलों के संगठन में बैठे लंबे समय
संभव है जिलों के संगठन में बैठे लंबे समय से बैठे मठाधीश पदाधिकारियों को भी देर सवेर बदल दिया जाएगा तथा नए चेहरों को मौका दिया जाएगा ताकि नई ऊर्जा और नई टीम के साथ भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार से टक्कर ले सके और 1 साल के भीतर पार्टी को इतना मजबूत कर दें कि चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन 2003 और 2008 तथा 2013 की तरह दमदार हो इस बड़ी जिम्मेदारी और कांटों का ताज पहनने में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कितने सफल होते हैं आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि दोनों के सामने गंभीर चुनौतियां मुंहबाये खड़ी है।