बिलासपुर। मेयर रामशरण यादव ने नगर निगम के अफसर को दो टूक शब्दों में कहा है कि शर्मा विहार में बिना सड़क, नाली बनाए और स्ट्रीट लगाए सभी प्लाट को बेचने वाले राजपाल बिल्डर को नोटिस जारी किया जाए। इसके बाद भी यदि वह किसी तरह का निर्माण नहीं करता है तो उसके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाए।
नगर निगम चुनाव से पहले खमतराई ग्राम पंचायत थी। राजपाल बिल्डर ने वहां कई एकड़ जमीन खरीदकर प्लाटिंग की और बड़े-बड़े लोक-लुभावने वायदे मसलन 1०० फीट पक्की सड़क, चौड़ी नाली, स्ट्रीट लाइट और गार्डन का सब्जबाग दिखाया। उसके झांसे में आकर लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई खर्चकर प्लाट खरीद लिए और मकान का निर्माण भी करा लिया। इस बीच बिल्डर राजपाल ने सड़क के नाम पर कुछ हिस्से में डब्ल्यूबीएम, संकरी नाली का ही निर्माण कराया और सारे प्लाट को बेचकर वहां फरार हो गया। अब वहां पर शर्मा विहार नाम से कॉलोनी बस गई है, जहां कई तरह की समस्याएं हैं। सड़क पर गड्ढेे होने के कारण आने-जाने में परेशानी होती है। नाली नहीं होने के कारण बरसाती पानी सड़क पर बहते रहता है। नए परिसीमन के बाद खमतराई अब नगर निगम में शामिल हो गया है, जिसे वार्ड क्रमांक 58 के नाम से जाना जाता है। नागरिकों हो रही समस्याओं की जानकारी मिलते ही मेयर श्री यादव सोमवार शाम पार्षद भास्कर यादव व पुरुषोत्तम पटेल के साथ शर्मा विहार पहुंचे। जहां एक मकान के बरामदे में चौपाल लगाकर नागरिकों की समस्याएं सुनीं। मौके पर जोन क्रमांक 7 के इंजीनियर मानिक भी मौजूद रहे। नागरिकों ने सड़क, नाली, बिजली और गार्डन की समस्याओं को दोहराते हुए मेयर को एक ज्ञापन सौंपा।
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महापौर ने कहा सड़क को चलने लायक बनवाएंगे
मेयर श्री यादव ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनने के बाद कहा कि पक्की सड़क और नाली बनाने का काम तो बिल्डर राजपाल का था, जिन पर दबाव डालकर यह काम आप लोगों को करवाना था। नगर निगम से जो भी मदद होगी, की जाएगी। उन्होंने इंजीनियर मानिक से कहा कि सड़क पर जहां-जहां गड्ढे हैं, वहां पर गिSा और मुरुम डालकर सात दिनों के अंदर चलने लायक बनवा दें। इसके लिए जरूरत पड़े तो इस्टीमेट बनाकर निगम को भ्ोजा जाए।
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एसडीएम ने आंख बांधकर बंधन से मुक्त कर दिए प्लाट
बिल्डर राजपाल ने लोगों को झांसा देने के लिए टीएनसी से कॉलोनी का ले-आउट पास करा लिया था, जिसे देखकर लोग फंसते गए। नियमानुसार बिल्डर ने 1० प्रतिशत प्लाट को एसडीएम के पास बंधक भी रखवा दिया, ताकि यदि वह बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराता है तो उन प्लाटों को बेचकर प्रशासन ये सुविधाएं उपलब्ध करा सके। बंधक को छोड़कर जब सब प्लाट बिक गए तो बिल्डर ने तत्कालीन एसडीएम, पटवारी से संपर्क किया। उस समय के एसडीएम ने मौके का निरीक्षण किए बिना ही आंख मूंदकर बंधक प्लाटों को मुक्त कर दिया, जिसे भी बेचकर बिल्डर फरार हो गया। अब वह बिल्डर उस कॉलोनी को झांकने तक नहीं जाता है।