अरुण दीक्षित
पिछले करीब एक सप्ताह से मध्यप्रदेश में एक लूट खासी चर्चा में है।हालांकि पुलिस ने लुटेरों को पकड़ कर अपनी पीठ थपथपा ली है।लेकिन प्रदेश के सबसे वीआईपी इलाके में हुई इस लूट ने जो सवाल उठाए हैं उनका जवाब शायद खुद देवी देवताओं के पास भी नहीं होगा।
वैसे यह पहला मामला नहीं है।फर्क सिर्फ इतना है कि देवी के मंदिर में चोर घुसे और माल ले गए।उधर महाकाल के मंदिर में तो अफसरों ने सिर्फ कागजों पर कुछ लाइनें घटा बढ़ा कर करोड़ों का खेल कर दिया।फिलहाल लोकायुक्त महोदय कुछ छानबीन कर रहे हैं।देखते हैं कि वे आगे क्या करते हैं।
तो पहले बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के चुनाव क्षेत्र बुधनी के सलकनपुर गांव में स्थित प्राचीन देवी मंदिर की।शिवराज इस मंदिर के पुराने भक्त हैं।उनके कार्यकाल में देवी का मंदिर पूरी तरह “चमक” गया है।ऐसा दावा खुद मुखिया का है।
मंदिर कितना पुराना है, यह ठीक से नहीं बताया जा सकता है।लेकिन पहाड़ी पर स्थित बिजासन देवी की मान्यता बहुत है।उनका महत्व और मान्यता उज्जैन के महाकाल के मंदिर के समकक्ष मानी जाती है।शायद यही वजह है कि मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1956 में तत्कालीन सरकार ने गजट नोटिफिकेशन के जरिए श्रीदेवी मंदिर समिति सलकनपुर का गठन किया था।इसी के साथ महाकाल मंदिर समिति भी गठित की गई थी।
सलकनपुर देवी मंदिर समिति में एक अध्यक्ष के अलावा तीन सदस्य होते हैं।मंदिर का महंत और गांव का सरपंच समिति के पदेन सदस्य होते हैं।सलकनपुर देवी के मंदिर में हर साल लाखों दर्शनार्थी आते हैं।नवरात्र के दिनों में भारी भीड़ होती है।जाहिर है कि जब लाखों लोग आयेंगे तो मंदिर में चढ़ावा भी खूब आएगा!
फिलहाल मंदिर चोरी की वजह से चर्चा में है।पिछले सप्ताह कुछ लोग रात में मंदिर के कोषालय का ताला तोड़ कर चढ़ावे का माल उड़ा ले गए।चूंकि माल बोरियों में भरा रखा था इसलिए किसी ने यह नही बताया कि चोर कितना माल ले गए।मंदिर समिति पहले दिन से इस कोशिश में है कि चोरी के माल की सही जानकारी न दी जाए।पहले नोटों से भरी दस बोरी चोरी होने की बात कही गई।फिर यह संख्या 6 पर आ गई।फिर दो और कम कर दी गईं।पुलिस ने चोरों को पकड़ कर दो बोरी बरामद की। बाकी दो बोरी को उन्ही दो बोरी में भर दिया गया।अब सिर्फ देवी जी ही यह बता सकती हैं कि भक्तों द्वारा चढ़ाया गया कितना पैसा चोर ले गए थे।या फिर इस चोरी की आड़ में कितना पैसा समिति के कर्ता धर्ता अपने घर ले गए।
बताते हैं कि पिछली नवरात्रि के समय आया चढ़ावा मंदिर में ही रखा था।उसे बैंक में जमा कराना था। लेकिन समिति के सदस्य यह काम करना भूल गए !उन्होंने बोरियों में भरकर नोट और गहने मंदिर के ही एक कमरे में रख लिए।
मुख्यमंत्री का इलाका है।वे देवी के भक्त भी हैं।इसलिए मंदिर में सरकारी सुरक्षा की व्यवस्था भी है।कैमरे भी लगे हैं।लेकिन इस सबके बाद भी चोर मंदिर का ताला तोड़ नोटों की बोरियां उठा ले गए।
मंदिर में चोरी को मुख्यमंत्री के भाग्य से जोड़ दिया गया।इस वजह से पुलिस ने दो दिन में ही चोर पकड़ कर दो बोरी बरामद करने का दावा कर दिया।लेकिन सैकड़ों सवालों को वह भी दबा नही पा रही है।पर जब समिति ही गलत जानकारी देकर चोरों की आड़ में खुद को बचा रही है तो फिर सच कौन बताएगा!देवी जी तो सामने आकर बताने से रहीं।
उधर कांग्रेस सवाल भी पूछ रही है और करोड़ों की चोरी होने का दावा भी कर रही है।बुधनी क्षेत्र के पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता राजकुमार पटेल का कहना है कि करोड़ों रुपए की चोरी हुई है।वह पूछते हैं कि आखिर चढ़ावे का पैसा महीनों से मंदिर में क्यों रखा था!उसे बैंक में क्यों जमा नही कराया गया?
पटेल कहते हैं – 15 महीने की कांग्रेस सरकार में सरकारी प्रशासक ने 3 करोड़ रुपया बैंक में जमा कराया था।अब तो नवरात्रि का चढ़ावा भी मंदिर में ही था।इसलिए बड़ी चोरी हुई है।इसमें सब शामिल हैं।कांग्रेस ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया है।वह सीबीआई की जांच चाहती है।
उधर मंदिर समिति अभी तक कोई स्पष्ट आंकड़ा नही दे पा रही है।समिति के मुखिया महेश उपाध्याय लंबे समय से इस पद पर हैं।कांग्रेस की सरकार ने उन्हें हटाया था।लेकिन शिवराज ने उन्हें आते ही फिर से मंदिर समिति की गद्दी सौप दी थी। समिति बाद में बनी।
मजे की बात यह है कि सलकनपुर देवी मंदिर समिति मंदिर की व्यवस्था के अलावा कोई सामाजिक काम नही करती है।पहले एक संस्कृत विद्यालय चलता था।वह भी बंद कर दिया गया है। चढ़ावे का पैसा किस तरह और कहां उपयोग होता है ,यह कोई नही जानता!
वैसे प्रदेश में देवी देवताओं के लुटने की पहली घटना नही है।उज्जैन के महाकाल मंदिर के साथ भी ऐसा ही हुआ है।फर्क सिर्फ इतना है कि सलकनपुर के मंदिर से चोर पैसा उठाकर ले गए!उधर उज्जैन में अफसरों ने कागजों में हेर फेर करके करोड़ों इधर उधर कर दिए।
आपको याद हो होगा कि पिछले महीने ही उज्जैन में भारी धूमधाम के साथ “महाकाल के महालोक” का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।करोड़ों खर्च करके काशी की तरह यहां भी शिव और शिव भक्तों के लिए एक भव्य “लोक” तैयार कराया गया है।
महालोक के भव्य उद्घाटन के तत्काल बाद खबर आई कि महालोक के निर्माण की निगरानी कर रहे आला अफसरों ने भगवान की आड़ में करोड़ों रुपए के बारे न्यारे किए हैं।एक रुपए का काम 100 रुपए में कराया है।यह शिकायत लोकायुक्त तक भी पहुंची।उन्होंने अफसरों को नोटिस देकर सफाई मांगी है।आगे की बात लोकायुक्त और अफसर जाने।लेकिन उज्जैन के लोग कह रहे हैं – महाकाल की आड़ में लूट लंबे समय से हो रही है। हर 12 साल में होने वाले महाकुंभ पर सरकार अरबों रुपए खर्च करती है।लेकिन मेला पूरा होने के बाद उज्जैन के हाथ कुछ नही लगता।न तो क्षिप्रा साफ हो पाई है और न कोई टिकाऊ व्यवस्था ही बन पाई है।महाकाल के महालोक के नाम पर भी ऐसा ही हुआ है।
महाकाल के नाम पर होने वाली लूट में अफसर नेता और ठेकेदार सब शामिल हैं।इसका हिसाब कौन करे?खुद महाकाल तो आने से रहे!
यह भी अजब संयोग ही है।एक जमाने में मध्यप्रदेश के डाकू पूरे देश में मशहूर थे।मानसिंह,माधव सिंह,मोहर सिंह,मलखान सिंह,पानसिंह तोमर,लोकमन दीक्षित आदि न जाने कितने कुख्यात डाकू हुए हैं।इनमें से ज्यादातर ने चंबल ले बीहड़ों में लूट के माल से मंदिर बनवाए थे।कुछ मंदिर तो डाकुओं द्वारा चढ़ाए जाने वाले “घंटे” के लिए आज भी मशहूर हैं।तब डाकुओं में इस बात की प्रतिस्पर्धा होती थी कि किसने कितना भव्य मंदिर बनवाया या फिर किस पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया!
वे डाकू थे ।लूट के माल से मंदिर बनाते थे। और ये सफेदपोश.. मंदिर बनाने के नाम पर भगवान का माल ही लूट रहे हैं।इनके बारे में कोई बात नही करता।
शायद सरकार भी यही चाहती है।क्योंकि ज्यादातर मंदिरों पर उसका ही कब्जा है।अफसर मंदिरों के प्रशासक हैं।सरकार का धर्मादा विभाग भी है।सब कुछ सरकारी सरंक्षण में है।चढ़ावा भी,निर्माण भी और लूट भी!
देवी देवता लुटते हैं! लुटते रहें!क्या फर्क पड़ता है!किसे फर्क पड़ता है!रामराज जो है!
आखिर अपना एमपी गज्जब जो है!है कि नहीं?