अरुण दीक्षित
एमपी में ठंड ने पूरी ताकत से दस्तक दे दी है! पर भारत जोड़ो यात्रा ने अचानक प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। इस वजह से सत्तारूढ़ दल और सरकार दोनों ही खुद को “उघार” रहे हैं।वहीं पद यात्रियों की कदमताल उन्हें गरम रखे हुए है।दोनों के बीच तू डाल डाल मैं पात पात..का खेल भी चल रहा है।
इस राजनीतिक गर्मी के बीच प्रदेश में प्रशासनिक गर्मी भी महसूस की जा रही है।कहा यह भी जा रहा है कि यह गर्मी प्रदेश के हर जिले को प्रभावित कर रही है।सारे नौकरशाह भोपाल और दिल्ली की ओर ताक रहे हैं!स फ्रीभी के होठों पर एक ही सवाल है! बड़े साहब का क्या होगा? रहेंगे या जायेंगे?
दरअसल एमपी की 66 साल की उमर में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है।बड़े बाबू साहब (मुख्य सचिव) की नौकरी के मात्र 48 घंटे ही बचे हैं!लेकिन अभी तक न तो यह फैसला हुआ है कि उनकी जगह कौन लेगा!और न ही यह कि अगले 12 महीने वे और नौकरी करते रहेंगे!पुराने और अनुभवी बाबू लोगों की माने तो एमपी में आज तक ऐसा नहीं हुआ!या तो पखवाड़े पहले उनके उत्तराधिकारी का ऐलान हो जाता था या फिर यह मुनादी हो जाती थी कि बड़े बाबू की बादशाहत अभी कायम रहेगी!
लेकिन इस बार दोनों में से एक भी काम नहीं हुआ है।इस वजह से मंत्रालय से लेकर जिलों तक के अफसर अरगंठे बांध(वो अंग्रेजी में कहते हैं क्रास फिंगर) कर बैठे हुए हैं।क्योंकि बड़े बाबू के जाने और आने का असर सब पर पड़ने वाला है।कुछ के बिस्तर बंधेंगे तो कुछ के खुलेंगे।इस एक फैसले से बहुत कुछ बदल जायेगा एमपी में!
मुखबिरों की माने तो मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बड़े बाबू एक साल और उनके साथ रहें।इसकी मुख्य वजह है दोनो के बीच बनी शानदार “केमिस्ट्री”! मार्च 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद जब मुख्यमंत्री ने चौथी बार कुर्सी संभाली थी तो तत्काल बड़े बाबू को साथ लिया था।तब से दोनों दूध और पानी की तरह “घुलमिल कर” काम कर रहे हैं।
कुछ महीने पहले यह चर्चा चली थी कि मुख्यमंत्री बड़े बाबू को एक साल और अपने साथ रखना चाहते हैं।बताते हैं कि इस बारे में उन्होंने एक प्रस्ताव भी दिल्ली भेजा था।लेकिन उन्हीं दिनों दिल्ली ने उत्तरप्रदेश के ताकतवर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करीबी अफसर की सेवावृद्धि की फाइल बैरंग भेज दी।हालांकि योगी ने अफसर को अपना सलाहकार बना कर दिल्ली को आइना दिखा दिया।लेकिन सरकारी तौर पर वे भूतपूर्व हो गए।
उसके बाद से एमपी के बड़े बाबू को लेकर दिल्ली से भोपाल तक अटकलें चल रही हैं। खबरनबीस रोज एक नया किस्सा लिखते हैं।रोज एक नया नाम सामने आता है।लेकिन आज तक न तो नए का नाम तय हुआ और न वर्तमान को आगे मौका देने का फैसला आया। एमपी के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है।
इस बीच एमपी में बाबुओं की आपसी खींचतान भी खूब देखी गई।जिन्हें कुर्सी मिलने की उम्मीद है वे रोज अपने घोड़े दौड़ा रहे हैं।रोज एक नया किस्सा सामने आ रहा है।पिछले दो महीने में वह सब भी हुआ जो पहले इस स्तर पर कभी नही हुआ।
कुछ पुराने बाबुओं के नाम पर एक बेनामी पर्चा दिल्ली भेजा गया।उस पर्चे में सच झूठ सब लिखा गया।कितनी दौलत, कितनी जमीन,कितनी जगह,कितने एजेंट..सब बताए गए।कहा तो यह भी जाता है कि कुछ बाबू संघ की शरण में भी गए।कुछ ने गुजरात में भी कुछ दिन गुजारे!
इस खींचतान में इतना तो हुआ कि नए का नाम तय नहीं हुआ तो बड़े बाबू का कार्यकाल बढ़ाए जाने का आदेश भी नही आया।यही वजह है कि पूरे प्रदेश के दिल्ली बाबू टकटकी लगाए दिल्ली और भोपाल की ओर देख रहे हैं।उधर जो दौड़ में हैं वे भी आखिरी के 48 घंटों में अपनी आखिरी कोशिश कर रहे हैं।
इस बीच मुखबिरों का कहना है कि मुख्यमंत्री आज दिल्ली में आखिरी कोशिश करने वाले हैं।देखना यह है कि दिल्ली क्या करती है।
रहेंगे या जाएंगे..इसका फैसला तो अगले 48 घंटे में हो जायेगा!लेकिन एक बात तय है कि इससे पहले बड़े बाबू की कुर्सी को लेकर ऐसा असमंजस कभी नहीं देखा गया।न ही ऐसी आपसी खींचतान पहले कभी देखी गई!
वैसे कहा यह भी जा रहा है दिल्ली का फैसला आगे की दिशा और दशा दोनो तय करेगा।अगर बड़े बाबू की कुर्सी पर नया बाबू बैठा तो दूसरी कुर्सी के लिए भी दौड़ शुरू हो जायेगी।अपना “गुजरात माडल” है ना!
अब कुछ भी हो अपना एमपी गज्ज़ब है! बहुतै गज्ज़ब! है कि नहीं?