सन्तोष कुमार
इंडियन काफी हाउस , हमारे देश के सहकारी क्षेत्र में सफल बिजनेस मॉडल का एक सर्वोत्तम उदाहरण है. सालों से इंडियन कॉफ़ी हाउस हम सभी जाते रहे हैं और हमने इनकी मेहनत और लगन देखी है . सेवा लगन , समर्पण और निष्ठा का यह एक सटीक उदाहरण है । इंडियन कॉफी हाउस के कर्मियों की मेहनत की बदौलत आज कॉफी हाउस किसी भी बड़े रेस्तरां को टक्कर दे रहे हैं । पहले इन इंडियन कॉफी हाउस का जो रेस्टोरेंट 700-800 स्क्वायर फीट का हुआ करता था ,0वह आज के डेट में 3000 – 4000 स्क्वायर फिट का हो चुका है । यही नहीं , अधिकांश रेस्तरां में यहां बैठने वालों की कैपेसिटी भी एक बार में लगभग 200 -250 के आसपास बढ़कर हो गई है। यह दिखाता है कि इंडियन कॉफी हाउस कर्मी आपस में सुचारू रूप से इस मॉडल को चला रहे और सहकारी संगठन के क्षेत्र में एक अद्वितीय उदाहरण पेश कर रहे हैं कि लोग सहकारी समिति चलाकर भी एक बड़ा सफल बिजनेस तैयार कर सकते हैं और आगे बिजनेस को नई उंचाई भी दे सकते हैं ।
आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि एक मध्यम दर्जे के रेस्टोरेंट में एक वेटर को कितनी सैलरी मिलती होगी , ज्यादा से ज्यादा 7000-8000 ,वह भी बड़ी मुश्किल से । आपको ताज्जुब होगा कि जो इंडियन कॉफी हाउस के वेटर है , उनकी सैलरी लगभग 22000 – 23000 है जो आज के जमाने में किसी भी साधारण इंजिनियरिंग कॉलेज से पास किए जाने वाले इंजीनियर के वेतन के समतुल्य है ।
कॉफी हाउस के सभी सदस्य भी आगे की चुनौतियों के लिए अपने आप को तैयार कर रहे हैं । एक बहुत अच्छी बात हुई कि कई इंडियन कॉफी हाउस में जहां उनके पास कुछ बड़ी जमीन है , वहां नीचे रेस्तरां रहने दिया और ऊपर में कई कमरे वाले होटल बना डाले ।
ये सब कुछ बहुत साधारण लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से किया , सबसे बड़ी बात , कोई बड़ी प्रोफेशनल डिग्री वाला और कोई सरकारी आदमी बीच में नहीं …
इंडियन कॉफी हाउस के सभी कर्म वीरों को ढेर सारी शुभकामनाएं ….
लेखक सन्तोष कुमार एसइसीआर के वरिष्ठ जनसम्पर्क अधिकारी है