*एजेंसियों से काम कराने थे तो राशि जनपदों को क्यों दे दी गई थी ?
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अब कहा जा रहा कुछेक काम एजेंसियों से कराया जाना है इसलिए पूरी नही बल्कि कुछ राशि ही जनपदों से वापस ली जाएगी
बिलासपुर । एक तरफ राज्य शासन पूरे प्रदेश गौठान निर्माण तथा पशुओं की देखरेख के लिए काफी गम्भीर है मगर प्रशासन के अधिकारी गलतियां करने से नही चूक रहे । बिलासपुर जिले में 97 गौठान संचालित है जिसके लिये छग राज्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण से प्रत्येक गौठान में 21 ,21 लाख रुपये मंजूर कर जनपद पंचायतों को भेज दिया गया मगर अब अधिकारियो के ध्यान में आया कि कई कार्य जनपद पंचायत नही कर सकते ऐसे कार्यो को विभिन्न एजेंसी से कराया जा सकता है सो आवश्यक बैठक करके एजेंसियों से कराए जाने वाले कार्यों की भुगतान राशि को जनपद पंचायतों को दिए गए 21, 21 लाख रुपये में से वापस लिया जाए ।
इस सम्बंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य शासन की महती योजना गौठान के निर्माण और पशुओं की देखरेख के लिए मनरेगा की राशि से व्यवस्था की जा रही है लेकिंन छग राज्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के द्वारा भी प्रत्येक गोठान के लिए 21, 21 लाख रुपये मंजूर कर जिला पंचायत के माध्यम से सम्बंधित जनपद पंचायतों को भेज दिया गया ।
प्रशासन के अधिकारियाँ को बाद में ख्याल आया कि गौठान से सम्बंधित कई कार्य जनपद पंचायत नही कर सकते । ऐसे कार्यों को एजेंसियों के द्वारा कराया जाएगा और उसकी राशि एजेंसियों को भुगतान करना पड़ेगा मगर एजेंसियों को दी जाने वाली राशि का भुगतान कहाँ से और किस मद से जाएगी इस प्रश्न पर अधिकारी कुछ तय नही कर पाए । होना तो यह था कि जनपद पंचायतों को राशि देने के पहले ही एजेंसियों के बारे में निर्णय ले लेना था मगर जो कार्य जनपद पंचायत नही कर सकते उसकी भी राशि का भुगतान जनपदों को कर दिया गया ।
एजेंसियों को कार्य देने और उसके लिए राशि की व्यवस्था करने पर निर्णय लेने दो दिन पहले जिला पंचायत में सम्बंधित अधिकारियाँ की आपात बैठक आहूत की गई जिसमें निर्णय लिया गया कि जो कार्य जनपद पंचायते नही कर सकती उसकी राशि जनपद पंचायतों से वापस ले ली जाए और उसे एजेंसियों को भुगतान के लिए रख लिया जाए ।
जिला पंचायत में छग पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के कार्यों व फंड को देखने वाले आनन्द पांडेय ने इस बारे में बताया कि जिला पंचायत में बैठक हुई थी तथा जो काम एजेंसियों से कराया जाना है उसके लिए जिले के 6 जनपद पंचायतों से कुछ ही राशि वापस ली जाएगी । पूरी राशि वापस लेने की बात सही नही है । उन्होंने बताया कि प्रत्येक जनपद पंचायत से लगभग 6 से 10 लाख रुपये वापस लिए जाने का निर्णय लिया गया है । वापस ली जाने वाली इस राशि से एजेंसियों के माध्यम से गौठान के वह कार्य कराए जाएंगे जिसे जनपद पंचायतें नही कर सकती ।