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December 3, 2024 10:47 am

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पंजाब नेशनल बैंक का 250 करोड़ रुपये डूब जाने का खतरा , रसूखदार लोगो को दिया गया है कर्ज , वसूली नही हो पा रही , मामला कोर्ट तक चला गया,हर बैंक में नीरव बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा ?

बिलासपुर:- पंजाब नेशनल बैंक का वह 250 करोड़ रुपये डूब जाने की आशंका है जिसे आम जनता ने बैंक को सुरक्षित मान कर जमा किया था और अधिकारियों ने जनता की गाढ़ी कमाई को कर्ज के रूप में रसूखदारों के हवाले कर दिया ।कर्ज लेने वाले वाले रसूखदारों को कर्ज की राशि अदा करने की चिंता ही नही है और वे बैंक को कानूनी दांवपेंच में उलझाकर मजे कर रहे है ।लगभग तमाम राष्ट्रीयकृत बैको में एक समान बात यह होती है कि किसी जरूरतमंद व गरीब को लोन मिलता नही और यदि सैकड़ो चक्कर काटने व तमाम औपचारिकता पूरी करने के बाद यदि लोन मिल भी जाये तो किश्तों की अदायगी थोड़ी भी अनियमित हो जाये तो बैंक वाले घर मकान नीलाम करवा देते है । किसानो के ट्रेक्टर और अन्य वाहन सीजर के द्वारा खिंचवाकर उसका भी नीलाम करवा देते है किश्त अदायगी के लिए नोटिस ऊपर नोटिस भेजे जाते है मगर रसूखदारों के लिए सारे नियम शिथिल कर दिए जाते है । रसूखदारों को बैंक अधिकारी घर पहुंचकर लोन प्रदान कर देते है । यह कुछेक मामलों में बैंक अधिकारियो की मजबूरी भी होती है क्योंकि उन्हें दिए गए लक्ष्य की पूर्ति करनी होती है मगर अधिकाधिक मामलों में रसूखदारों के साथ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी होती है ।पंजाब नेशनल बैंक ने दो रसूखदारो जिनकी सत्ता में अच्छी पकड़ रही है ,को पावर प्लांट स्थापना और मॉल के निर्माण के लिए 250 करोड़ का लोन प्रदान कर दिया अब उसकी वसूली नही हो पाने से अधिकारियों के माथे पर बल पड़ गई है । जिन सामान्य खातेदारों की राशि को बैंक के अधिकारी पूरी दरियादिली से रसूखदारों को कर्ज के रूप में दे देते है उन सामान्य खातेदारों को भी अब सचेत रहने का समय आ गया है क्योंकि उनकी राशि अब सुरक्षित नही रह गई है ।सावधान नही होंगे तो बैंक अधिकारी उनकी जमा रकम कोबड़े पूंजीपतियों के ऊपर न्योछावर करते रहेंगे । इसके दो कारण हैं। पहला बड़े पूंजीपति अथवा बड़ी कंपनियां को बैंक लोन लेना आसान है। दूसरा करोड़ों रुपए डकार लेने के बाद भी इन कंपनियों के डायरेक्टर समाज में मान सम्मान पाते रहते हैं जबकि वास्तव में यह समाज के वह गुनाहगार हैं जो इमानदारी से पैसा बचाने वालों की धन पर मजा मार रहे हैं। बिलासपुर जिला मुख्यालय के मस्तूरी ब्लाक अंतर्गत ग्राम भदौरा में प्रारम्भ किये गए राशि स्टील प्लांट का कॉरपोरेट ऑफिस दिल्ली में है। बैंक लोन पंजाब बैंक की दयालबंद शाखा से हुआ है और लोन लेने वाले सेठ रायगढ़ जिले के मूल निवासी हैं। लगभग 10 वर्ष पूर्ण पाराघाट, भनेसर तथा, लीलागर नदी के किनारे लगभग 100 एकड़ जमीन को एक कंपनी के लिए दलालों ने खरीदना शुरू किया तब बाजार में यह हल्ला था कि यह एक बहुत बड़ा पावर प्लांट लग रहा है जो कि बिलासपुर के एक मंत्री का है बाद में अंतरराष्ट्रीय सेक्टर में बंद हो चुकी तकनीक से यह प्लांट शुरू हुआ जिसने कभी भी उन वादों को नहीं निभाया जो जनसुनवाई में किए थे। लोन की राशि अदा नही करने पर 1 वर्ष पूर्व पंजाब नेशनल बैंक ने इस संयंत्र का सांकेतिक कब्जा सरफेसी एक्ट के तहत ले लिया। इस कंपनी पर इलाहाबाद बैंक का भी लोन है कंपनी की जिला प्रशासन मैं धमक इतनी है कि बैंक को आज दिनांक तक इस संपत्ति का भौतिक कब्जा प्राप्त नहीं हुआ है। बैंकिंग सूत्रों के अनुसार फाइल दो वर्ष से बिलासपुर डीएम के पास लंबित है आज भी पीएनबी के अधिकृत ई पंजीयन साइट पर उक्त संपत्ति की बिक्री का टैग लगा हुआ है। साथ ही साथ बैंक ने अपना पैसा डूबते देख इस प्रकरण को ट्रिब्यूनल में भी पेश कर दिया है।
पंजाब नेशनल बैंक को दिन में तारे दिखा देने वाला दूसरा कर्जा 36 माल का है। इस पर तो पंजाब नेशनल बैंक को बहुत जल्द ही दिखावटी कब्जा भी प्राप्त हो गया था उसके बावजूद मानवीय संवेदना ओं के चलते खाताधारकों का पैसा डूबता नजर आ रहा है यहां पर कर्ज की राशि 110 करोड़ से अधिक है। 36 मॉल में आज भी किराना दुकान से लेकर मेरिट होटल और मल्टी स्क्रीन गिल्डस तक संचालित हो रहे हैं। और बाजार में यह भी चर्चा थी कि माल स्थित होटल में एक पूर्व मुख्यमंत्री ने भी बड़ी धनराशि निवेश की है। इस माल को बनाने के लिए रायगढ़ निवासी एक पूर्व मंत्री की कंपनी ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ आईसीआईसीआई से वित्तीय सहायता प्राप्त की । पूरा मॉल बनने के उपरांत अलग-अलग स्थानों को किराए पर चढ़ा दिया यहां तक कि पार्किंग में गैर कानूनी तरीके से अनुबंध कर किराएदार बनाए पूरा बाजार को देखकर कोई कल्पना नहीं कर सकता की उक्त मॉल बैंक का कर्ज नहीं पटा रहा होगा पर एक दिन ऐसा भी आया जब बैंक ने 36 मॉल पर सांकेतिक कब्जा नोटिस लगा दिया। हाईकोर्ट में मामला होने के चलते डीएम ने बैंक को बाहर से कब्जा भी दे दिया किंतु यहां भी बैंक या खाताधारक ठगे गए। और कर्ज लेकर ना चुकाने वाले मजे में रहे बैंक ने कई बार इस संपत्ति को ऑनलाइन बिक्री के लिए निकाला किंतु संपत्ति बिक ना सकी अब बैंक ने वसूली प्राधिकरण की शरण ले रखी है। यहां पर इस बात पर रजामंदी होती दिख रही है कि एक नीति के तहत मॉल किसी कंपनी के पजेशन में दिया जाए और वह कंपनी माल प्रबंधन करते हुए बैंक का ऋण चुकाए। इस प्रक्रिया में 10 कंपनियों ने रूचि दिखाई है प्रबंधन किस कंपनी को मिलेगा यह ट्रिब्यूनल का रिसीवर और पंजाब नेशनल बैंक प्रबंधन तय करेगा। फिलहाल तो पंजाब नेशनल बैंक का और आम खातेदारों का 250 करोड़ रुपये फंसा हुआ है ।इस खबर का लब्बोलुआब तो यही है कि हर बैंक में नीरव बैठा है अंजामे गुलिस्ता क्या होगा ?

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