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November 24, 2024 9:20 am

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भइया आही कुलकत रांधे खीर , हाय बिधाता कइसे धरिहंव धीर । चोंगी छुइस न झोंकिस बीरा पान , धन रे पोथी हाय रे कन्यादान।” अइसने रचना पढ़के मोर मन म छत्तीसगढ़ी भाषा अऊ साहित्य बर रुझान जागिस ” पढ़ें सरला शर्मा दुर्ग के साक्षात्कार

            साक्षात्कार
        जय भारती चंद्राकर 

1/  अवकाश प्राप्त व्याख्याता( हिंदी ) ….स्वतंत्र लेखन
2 / पति ..स्व. नरेंद्र प्रसाद शर्मा
3/  मोर पिता शेषनाथ शर्मा ‘शील ‘ हिंदी , छत्तीसगढ़ी , बंगला , मराठी , उर्दू भाषा के साहित्यकार रहिन , गद्य पद्य दूनों के सिद्धहस्त लेखक रहिन । ” कविता लता ” , अउ “रवींद्र दर्शन ” उंकर प्रकाशित कृति आय । ओ समय के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिका संगीत , विशाल भारत , सुकवि समीक्षा , राष्ट्र धर्म , नवनीत आदि मं उंकर रचना प्रकाशित होवत रहिस त आकाशवाणी , दूरदर्शन के कार्यक्रम मं भी सहयोगिता रहिस ।
  डॉ . पालेश्वर प्रसाद शर्मा छत्तीसगढ़ी के वटवृक्ष कहे जाथे उन हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी के प्रखर गद्यकार माने जाथे । तिरिया जनम झनि देय , सुसक झन कुररी सुरता ले , नमोस्तुते महामाये असन कई ठन किताब लिखे हें । उन मोर कका आंय ।
   सावित्री देवी शुक्ला मोर बड़े फूफू आशु कविता रचना करय । भजन माला , मेरी गीत माला लिखे हे । अध्ययन शील महिला रहिस ।
    घर मं रोज सांझ के बैठक होवय जेमा जांजगीर के स्थानीय साहित्यकार , संगीतकार मन अपन रचना प्रस्तुत करयं । कभू कभू बाहिर ले आये साहित्यकार मन भी ये बैठक मं उपस्थित रहंय ।
   मोर बचपन इही बैठक मं साहित्य के सुरुआती पाठ पढ़त गुजरे हे , कहि सकत हन के मोर घर के वातावरण ही साहित्यिक रहिस ।
4/  लइकाई के बात तो सुरता नइये फेर सन् 1967 मं ” कल्पना ” पत्रिका मं मोर पहिली कहानी प्रकाशित होए रहिस जेकर नांव रहिस मित्रता हिंदी कहानी ।
5/ विद्या भूषण मिश्र के कविता संग्रह ” गीत माला “
” गीत माला पहिर ले रे गोरी , गंवई तोर जय होवय । “
  डॉ . पालेश्वर प्रसाद शर्मा के सुसक झन कुररी सुरता ले …” नांव के नेह मं ” कहानी …
शेषनाथ शर्मा शील के बरवे ….
” भइया आही कुलकत रांधे खीर ,
हाय बिधाता कइसे धरिहंव धीर ।
चोंगी छुइस न झोंकिस बीरा पान ,
धन रे पोथी हाय रे कन्यादान । “
    अइसन रचना मन ल पढ़ के मोर मन मं छत्तीसगढ़ी भाषा अउ साहित्य बर रुझान जागिस ।
6/    सबो साहित्यकार बढ़िया लिखत आवत हें …तभो आपके प्रश्न के उत्तर मं कहि सकत हंव के गद्यकार मं डॉ. पालेश्वर प्रसाद शर्मा प्रभावित करिन पहिली बात के उन छत्तीसगढ़ के संस्कृति , संस्कार , परम्परा अउ रीति रिवाज के सुरता करावत चलिन त नारी हृदय के दुख पीरा संग ओकर कर्मठता अउ साहस ल उजागर करिन । कविता मं लक्ष्मण मस्तूरिया ल कभू भुलाए नइ सकंव काबर कि उन आम आदमी के जांगर टोर काम बूता के कथा लिखिन त गिरे , हपटे , परे डरे मन ल अपन संग सरग के निसेनी चढ़े बर हांक पार के बलाईन ।
7 / छतीसगढ़ी ल राजभाषा बनाये के दिशा मं पहिली कदम के प्रथम अधिवेशन मं महिला साहित्यकार मन बर अलग सत्र के मांग अउ संयोजन करेंव , लगातार पांच बार संयोजन करेंव जेमा हिंदी के 52 अक्षर के वर्णमाला ल अपनाए के विचार ऊपर लोगन के ध्यान आकर्षित कराएंव ।
8 / छत्तीसगढ़ी भाषा अउ साहित्य के भविष्य जगर मगर करत हे । अब तो बहुत झन साहित्यकार के कलम चलत हे जेमन नवा विचार संग , हिंदी वर्णमाला , स के तीनों रुप , आधा अक्षर ल अपन रचना मं स्थान देहे लग गये हें ।
9 / साहित्य के संगे संग मैं ज्येष्ठ नागरिक संघ , संगवारी ग्रुप से जुड़े हंव जेमा अवकाश प्राप्त मनसे मन के समस्या सुने , निवारण करे जाथे । मंगल शिक्षण संस्था से जुड़े हंव जिहां बिना फीस लेहे गरीब गुरबा लइका मन ल ट्यूशन , कोचिंग देहे जाथे , जेकर से उंकर भविष्य के रोजी रोटी , नौकरी चाकरी पाए मं सहायता , मार्गदर्शन मिलथे ।
10 /  मोला सम्मानित करइया मन के प्रति कृतज्ञ हंव ।
  जय छत्तीसगढ़ , जय छत्तीसगढ़ी

               सरला शर्मा

दुर्ग  मोबाइल 9826167502

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