नई दिल्ली।मणिपुर में हिंसा पर प्रधानमंत्री द्वारा संसद में आकर बयान नहीं देने को लेकर समूचा विपक्ष संसद में उबल रहा है ।अब उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचा है और इसीलिए यह जानते हुए भी कि हम हार जायेंगे ,समूचा विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना लोकसभा अध्यक्ष को दे दिया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दिन प्रधानमंत्री को न केवल बोलना पड़ेगा बल्कि विपक्ष के प्रश्नों और आरोपों का जवाब भी देना पड़ेगा। अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष अपने गठबंधन के नए नाम INDIA की ताकत भी दिखाने कोई कसर नहीं छोड़ेगा जो 2024 के आम चुनाव का आगाज भी होगा।
दरअसल मणिपुर राज्य की हालात इतने बिगड़ने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जुलाई तक कोई बयान नहीं जारी किया था। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इसी बात को लेकर नाराज हैं। वे इस हिंसा को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। 20 जुलाई को पीएम ने महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद बयान दिया था लेकिन उसी दिन से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र में घटना पर बात नहीं की।
इससे विपक्ष और भड़क गया और सदन में मणिपुर हिंसा पर बहस के लिए और पीएम मोदी से जवाब चाहने के लिए आविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। विपक्ष संसद में मणिपुर का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी। वह इसके जरिए यह स्टैब्लिश करने की कोशिश करेगी कि सरकार मणिपुर के मुद्दों को सुलझाने में नाकाम साबित हुई है।सरकार की लापरवाही की वजह से हालात बिगड़ते चले गए। सरकार की उदासीनता के कारण मणिपुर के लोग ऐसा दंश झेल रहे हैं। इसके अलावा विपक्ष मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का भी दबाव डाल रहा है।
नए गठबंधन की ताकत दिखाने का मौका
पटना के बाद बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। इसमें 26 दलों के नेता शामिल हुए थे. विपक्ष ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और एनडीए को टक्कर देने के लिए यूपीए को खत्म कर नए गठबंधन I.N.D.I.A. (Indian, National, Democratic, Inclusive, Alliance) का ऐलान किया था।इसके बाद संसद का मॉनसून सत्र पहला मौका है, जहां विपक्षी दलों को अपने गठबंधन की ताकत दिखाने का मौका मिला है। विपक्ष कोशिश कर रहा है कि वह अपनी शर्तों पर, अपने मुद्दों पर सरकार को जवाब देने पर मजबूर करे।
अगर वह ऐसा कर ले जाते हैं तो यह विपक्ष की एक तरह की जीत मानी जाएगी, इसीलिए विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर एक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया है। ऐसे में अब लगभग तय हो गया है कि प्रधानमंत्री को मणिपुर के मुद्दे पर जवाब देना पड़ेगा।
एक बात और देश में अगले साल लोकसभा चुनाव हैं।अभी देश में विपक्षी दलों की हलचल मोदी सरकार के खिलाफ काफी बढ़ी हुई है।वहीं कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ के आक्रामक होने का माहौल बनाने की कोशिश करेगी, ताकि वह मोदी सरकार के खिलाफ माहौल बनाकर लोकसभा चुनाव में उसका लाभ उठा सके।
विपक्ष कोशिश करेगा कि वह मणिपुर हिंसा के अलावा राहुल की सदस्यता, पहलवानों की प्रदर्शन, बेरोजगारी, महंगाई जैसे तमाम मुद्दों को लेकर आगामी चुनाव के लिए एजेंडा सेट कर सके और जनता के बीच जाकर मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट कर सके।
पूर्वोंत्तर के राज्यों में अभी तक कांग्रेस की पैठ रही थी लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद कांग्रेस वहां से धीरे-धीरे अपनी पकड़ खोती जा रही है, लेकिन मणिपुर हिंसा को मुद्दा बनाकर कांग्रेस अपनी खोयी जमीन और जनाधार वापस लेने की कोशिश करेगी। दरअसल पीएम मोदी अपने कार्यकाल के 8 साल में 50 बार से अधिक पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा कर चुके हैं।इस दौरान वह पूर्वोंत्तर के राज्यों को मुख्यधारा से न जोड़ने के लिए कांग्रेस के घेरते रहे हैं।
मोदी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत अपनी सरकार में पूर्वोत्तर के राज्यों में परिवहन (हाइवे, रेलवे और एयरवेज) और संचार में ऐतिहासिक काम करने का दावा करते रहे हैं लेकिन अब जब मणिपुर जल रहा है, तो उन्होंने चुप्पी साध रखी है। इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष पीएम को घेरने की कोशिश करेगा। जलते मणिपुर को अकेला छोड़ देने पर मोदी सरकार को घेरेगा।