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November 22, 2024 2:13 am

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ईडी के छापे,15 सितंबर तक छग में बड़े राजनैतिक बवाल की आशंका,विधानसभा चुनाव शांति पूर्ण सम्पन्न होने में संदेह!

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का चुनाव क्या शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सकेगा इस बात को लेकर तरह-तरह की शंकाएं शुरू हो गई है क्योंकि घटनाएं कुछ ऐसा संकेत दे रही है  कि 15 सितंबर तक कुछ न कुछ राजनीतिक बवाल मचने वाला है जिससे छत्तीसगढ़ की राजनीति पर व्यापक असर पड़ सकता है ।

देश प्रदेश की राजनीति इन दिनों शर्तों के आधार पर संचालित होने लगी है ।राष्ट्रीय स्तर के नेता प्रदेश स्तर के नेताओं पर शर्तों के आधार पर राजनीति करने दबाव डाल रहे हैं ।कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि जो भी नेता मेल ( मिलाप)के आधार पर राजनीति नहीं करेगा उसे जेल जाना तय है ।छत्तीसगढ़ में इन  दिनों ईडी के अधिकारी इस तरह चक्कर मार रहे हैं जैसे गली मोहल्ले में सुबह शाम नगर निगम का मच्छर मारो अभियान टीम निकलती है। ईडी द्वारा लगातार छापे मारे जा रहे हैं उसके निशाने में कल कौन है कोई नहीं जानता लेकिन इतना तो निश्चित है कि ईडी के छापे की जड़ में सरकार और कांग्रेस के नेता ही है।

यह उल्लेखनीय है कि ईडी के डायरेक्टर  राजेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खासम खास है उनका कार्यकाल 15 सितंबर  को समाप्त हो रहा है ।केंद्र सरकार द्वारा एक और नई जांच एजेंसी बनाई जा रही है जो सीबीआई के भी ऊपर है और उसके सर्वेसर्वा रिटायरमेंट के बाद राजेंद्र चंद्र मिश्र को ही बनाने की तैयारी चल रही है ।इसलिए  बताया जा रहा है कि उन्हें टारगेट दिया गया है कि 15 सितंबर तक कुछ ऐसा करो कि रिटायरमेंट के बाद नई जांच एजेंसी का सर्वे सर्वे उन्हें ही बनाया जाए। टारगेट के हिसाब से ईडी यदि ऐसा कुछ कार्रवाई करती है तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ और झारखंड में राजनीतिक कोहराम मचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता ।

ईडी द्वारा द्वारा छापे की लगातार कार्रवाई के बाद केंद्र के टारगेट में जो नेता है  उनकी गिरफ्तारी भी की जाती है तो बवाल मच सकता है ।वैसे भी छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के नेता पूरे जोश खरोश के साथ अपने बयानों में मुख्यमंत्री सहित कई नेताओं को और अधिकारियों को बेल में होना बता रहे हैं ।उसके पीछे का सत्य भी ईडी की करवाई है।

उल्लेखनीय है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को  इन दिनों कई तरह के दबाव झेलने पड़ रहे हैं ।कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्हें विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. से संबंध तोड़ लेना चाहिए ।जब उन्होंने इनकार किया और बेंगलुरु के सम्मेलन में शामिल भी हुए तो उन्हें ईडी की तरफ से बयान देने के लिए नोटिस जारी किया गया ।

हेमंत सोरेन ने जब ईडी से स्पष्ट कहा कि उन्हें परेशान करने की कोशिश की जा रही है और वह सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं तो कुछ दिन के भीतर ही उन्हें दूसरा नोटिस मिल गया दूसरे नोटिस में भी ईडी के दफ्तर में  बयान देने नहीं पहुंचे तो तीसरा नोटिस उन्हें चेतावनी भरा मिला ।ईडी के छापे मार कारवाई से यही लग रहा है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड में 15 सितंबर के पहले कोई बड़ा बवाल अथवा गिरफ्तारी की पूरी संभावना है जिससे विधानसभा चुनाव पर इसका व्यापक असर पड़ सके ।बताया तो यहां भी जा रहा है की ईडी छत्तीसगढ़ और झारखंड के मुख्यमंत्री की या उनके नजदीकी रिश्तेदार की गिरफ्तारी तक के लिए तैयार बैठी है ।

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