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July 4, 2025 8:53 pm

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उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मोदी के बगल में खड़े होने चंद सेकेंड में ही चीते जैसी फुर्ती और बाज जैसे नजर वाला साहस दिखाया तो पी एम मोदी ने रमन सिंह की अनदेखी कर भूपेश बघेल से मिलाया हाथ (देंखे वीडियो)

बिलासपुर।चीते जैसी फुर्ती और बाज जैसी नजर किसी नए नवेले नेता की हो तो उसकी राजनैतिक तरक्की को कोई रोक नहीं सकता बशर्ते उसका किस्मत भी साथ दे ।हम बात कर रहे है उप मुख्यमंत्री बनाए गए अरुण साव की जिसने शपथ समारोह के लिए बनाए गए मंच में प्रधानमंत्री मोदी के बगल में खड़े होने के लिए जिस तेजी के साथ सक्रियता दिखाकर मोदी के  बगल में खड़े होने में सफलता पाई (देखे वीडियो) उसमें कुछ सेकंड ही लगे लेकिन उन्होंने ऐसा करने के लिए जो दिमाग दौड़ाया ऐसा बहुत कम राजनेताओं में देखने को मिलता है ।वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ समारोह के बाद निकलने के लिए लाइन खड़े नेताओं को हाथ जोड़कर अभिवादन करते रहे लेकिन जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के पास पहुंचे श्री मोदी ने न तो नजरों से और न हीं अपने भाव भाव से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की उल्टे डॉक्टर रमन सिंह को शायद  उपेक्षित करने  के उद्देश्य से  उनके बगल ही  में अभिवादन करते हुए खड़े निवृतमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उन्होंने दोनों हाथ मिलाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया अब इसका अलग-अलग नजरिए से लोग अर्थ निकाल रहे हैं ।तीन राज्यों में नए चेहरों को प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने मौका देकर भारतीय जनता पार्टी के उमर को 30 साल और आगे बढ़ा दिया है वरना 15 साल तक भाजपा के चुनिंदा नेता खुद चुनाव लड़ते थे और सरकार बनाकर उसमें शामिल हो जाते थे और सरकार का नेतृत्व भी करते रहे ये  नेता सेकंड लाइन खड़ा करने में कभी भरोसा नहीं किया ।इस नियत को भापकर अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने पुराने चेहरों को किनारे करके नए चेहरों को मौका देने का जो बीड़ा उठाया है उस पर वह कितने सफल होते हैं वह लोकसभा चुनाव में और उसके बाद स्पष्ट हो जाएगा। हम हम बात कर रहे थे लोरमी विधानसभा क्षेत्र से  भारी भरकम मतों से जीत दर्ज कर उपमुख्यमंत्री बने अरुण साव की जिन्होंने राजनीति की सीढ़ियां जल्द से जल्द चढ़ने के लिए जिस तरह की सक्रियता दिखाई है वह तारीफ के काबिल तो है ।चंद सेकंड की आश्चर्य कर देने वाली ऐसी सक्रियता तो पूर्व मुख्यमंत्री  डॉ रमन सिंह भी अपने 15 साल के कार्यकाल में शायद ना दिखा पाए हो ।अरुण साव की इस सक्रियता का भारतीय जनता पार्टी में निर्वाचित हुए उन तमाम नए विधायकों को अनुसरण करना चाहिए क्योंकि अभी नए-नए बने विधायकों का “दिन बादर” है ।पता नहीं कौन से विधायक क्या बन जाए ।पुराने विधायक जो भाजपा के हिंदुत्व के लहर में फिर से विधायक बन पाए हैं वे तो अब किनारे लगाए जा रहे हैं इसलिए आने वाले वर्षों में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में नई नवेले विधायकों और सांसदों का बोलबाला रहेगा ।यह भी संभव है कि किनारे लगा दिए गए बुजुर्ग और वरिष्ठतम विधायक तथा मंत्रियों को संगठन के उच्च पदों पर भेजा जा सकता है या फिर उन्हें परमानेंट रूप से मार्गदर्शक मंडल में जगह दे दी जाए।

 

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