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November 21, 2024 6:31 am

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महिला सरपंच के खिलाफ सभी जांच कार्रवाई और गिरफ्तारी वारंट को हाईकोर्ट ने किया निरस्त,नवागढ़ एसडीओ को मिली चेतावनी,विभागीय जांच चलाने का आदेश भी

बिलासपुर।याचिकाकर्ता सुशीला जोशी की नियुक्ति सरपंच पद पर वर्ष 2015 में चुनाव जीतने के बाद ग्राम पंचायत मुर्रा में हुई। उसके पश्चात 2020 जनवरी में उनका सरपंच के पद का कार्यकाल समाप्त हो गया और वह जिला पंचायत बेमेतरा की सदस्य चुनी गई । उन्होंने अपना चार्ज हैंडओवर कर दिया। नवनिर्वाचित दूसरे सरपंच को। दिनांक 13.5.2020 को तत्कालीन विधायक दौरे के दौरान उन्होंने एसडीओ को निर्देश दिया कि दौरे के दौरान उन्हें चार ग्राम पंचायत के संदर्भ में शिकायतें मिली हैं जिसकी जांच कर तीन दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उसके अगले ही दिन 14.5.24 को एसडीओ नवागढ़ ने ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के खिलाफ बिना किसी धारा या लीगल प्रावधान के केस रजिस्टर कर ग्राम पंचायत मुर्रा के पिछले 5 वर्षों के समस्त कार्यों की जांच का आदेश दिया और सरपंच को नोटिस जारी किया इसके संदर्भ में पूर्व सरपंच ने अपना जवाब भी प्रस्तुत कर दिया । इसके बाद केवल पेशियां बढ़ती रही और दिनांक 10.1.2024 को एसडीओ के उपलब्ध नहीं होने के कारण अगली तारीख 7.2.2024 निर्धारित की गई परंतु 31.1. 2024 को मामले को पूर्व डेट में लगाते हुए तत्कालीन एसडीओ ने याचिका कर्ता पूर्व सरपंच सुशीला जोशी के उपस्थित नहीं होने के कारण उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इसके विरूद्ध सुशीला साहू ने प्रतीक शर्मा अधिवक्ता के माध्यम से  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत की जिसमें चलाए जा रहे समस्त कार्यवाही एवं गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के आदेश को चुनौती दी। जिसकी पहली सुनवाई में ही  उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाते हुए एसडीओ नवागढ़ को  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के समक्ष 14.3.24 को उपस्थित होने का आदेश दिया और 14.3.24 को एसडीओ  उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने  न्यायालय को बताया कि वो अभी नए आए हैं और उन्होंने गिरफ्तारी वारंट के आदेश को कैंसिल कर दिया है। इसके पश्चात याचिका कर्ता की बहस पर कि दुर्भावना पूर्वक याचिका कर्ता के खिलाफ केस चलाया जा रहा है और पूर्व विधायक के द्वारा कोई भी डिटेल आरोप नहीं लगाने के बावजूद केवल ग्राम पंचायत मुर्रा के सरपंच के 5 वर्षों की जांच को आधार बनाकर बिना किसी धारा बिना किसी प्रावधान के आवेदिका के विरुद्ध केस चलाया जा रहा है और दुर्भावना पूर्वक गिरफ्तारी वारंटी जारी किया गया है इस कारण से समस्त प्रोसीडिंग्स और गिरफ्तारी वारंट के आदेश को रद्द किया जाए। जिसे स्वीकार करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के  न्यायमूर्ति  राकेश पांडेय  ने आदेश दिनांक 14.3.24 द्वारा याचिका कर्ता के गिरफ्तारी आदेश को भी निरस्त कर दिया और संपूर्ण कार्यवाही जो याचिका कर्ता के खिलाफ चलाई जा रही थी उसे भी निरस्त कर दिया ।साथ ही तत्कालीन एसडीओ जिसने गिरफ्तारी का आदेश दिनांक 31.1.24 पारित किया था को चेतावनी देते हुए भविष्य में पुनरावृति करने पर राज्य सरकार को उनके विरुद्ध विभागीय जांच चलाने का आदेश दिया है।

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