बिलासपुर। निपट गए चुनाव और मतदाता किसे निपटा दिए, इस पर चर्चा करने 4 जून तक कई तरह की बैठकें होंगी।होटल ,पान ठेला,सब्जी बाजार में ,राजनैतिक दलों के नेताओं के बीच इसी बात की चर्चा होती रहेगी कि कौन कौन निपट रहा है और किसका राजयोग है ।बिलासपुर लोकसभा सीट को लेकर भी कुछ ऐसी ही तस्वीर रहेगी ।वोटर बड़े स्वार्थी लेकिन मौन होते है। कुल मिलाकर 11 घंटे तक मतदान हुआ लेकिन वोटरों ने इसका खुलासा नहीं किया कि किसके पक्ष में हवा चल रही है। कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव और भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू के बीच कड़ी टक्कर है ऐसा तो सब कह रहे है लेकिन जोर किसका चल रहा यह बताने का रिस्क कोई नही लेना चाहता ।
बिलासपुर लोकसभा सीट में शतप्रशित मतदान हो इसके लिए जिला प्रशासन के सारे विभागो ने खूब पसीना बहाया लेकिन मतदाता टस से मस नहीं हुए और 21लाख वोटरों में से सिर्फ 64.77 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया । 7 लाख 40 हजार816 वोटर आखिर गए कहां? सबसे कम वोट बिलासपुर विधानसभा में 57.04 फीसदी वोट पड़े ।यह भारी चिंता का विषय है ।जिला प्रशासन की लाख कवायद के बाद भी बिलासपुर में स्थिति नही सुधरी । 15 दिन के चुनाव प्रचार और 7 मई को मतदान के दिन तक यह बात जरूर खास रही कि वोटर किसी राजनैतिक दल ,उसके नेता ,पार्टी की सरकार और उनके बड़े स्टार प्रचारकों की बातें तो सब ने सुनी लेकिन लगता है गंभीरता से किसी ने नहीं लिया ।यदि गंभीरता से लेते और नेताओ की बात में कोई दम होता तो वोटरों में मतदान के प्रति अति उत्साह होता लेकिन ऐसा नहीं हो पाया ।
उम्मीद है मतदाताओं ने अपने मन की बात सुनकर वोट किया है ।वोटरों के रुख को देखकर प्रत्याशियो और उनके कार्यकर्ताओ में घबराहट तो है । लोग सुविधा संतुलन के हिसाब से अंदाजा लगा रहे कि कम वोटिंग से किस पार्टी को फायदा है और किस पार्टी को नुकसान हो सकता है। यदि वोट का प्रतिशत ज्यादा होता तो किसे फायदा मिलता और किसको घाटा होता।
यह अंदाजा लगाने वालो को यह भी पता है कि इस बार मतदाताओं ने पार्टियों को गच्चा दे दिया है ।वोटरों ने किसी की नही सुनी है इसलिए प्रत्याशियो के बीच जीत हार का अंतर ज्यादा नहीं रहेगा ।वोटरों ने मौन रहकर नेताओ की धड़कने बढ़ा दी है ।लंबे चौड़े दावे करने वाले नेता भी धरातल पर आ गए है ।
इस बार हुए मतदान में शहर ही नहीं बल्कि अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र के मतदान केंद्रों में दोपहर दो से तीन घंटे तक मतदाता पहुंचे ही नही और अपने ही प्रत्याशी और पार्टी को अधिकांश वोटरों का वोट जरूर मिलेगा यह भ्रम पाले कार्यकर्ताओं ने वोटरो को घर से निकालने और अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए कोई प्रयास इसलिए भी नही किया क्योंकि वे मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है ,भांप चुके थे। मतदाता चाहे वह किसी भी वर्ग का हो स्वेच्छा से अपने सहूलियत के अनुसार घरों से निकल कर वोट किए ।शाम को बदली और बारिश को देख अपर क्लास के लोग अपने साधनों से मतदान केंद्रों में पहुंचे ।रात आठ बजे के पहले से ही मतदान दलों की वापसी से या भी स्पष्ट हो गया कि शाम 6 बजे ही वोटिंग समाप्त हो गई थी ।बूथ के परिसरों में कोई भी मतदाता वोट करने के लिए नही रह गया था ।अब नतीजे के लिए 25 दिन तक इंतजार तो करना ही पड़ेगा।