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November 21, 2024 2:21 pm

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प्रदर्शन में शामिल होने निजी संस्थानों में कार्यरत युवकों ने छुट्टी ले ली थी, कहा था :समाज के लिए नौकरी छोड़ देंगे, जान भी दे सकते हैँ, शिनाख्त के बाद अब गिरफ्तारी की हो रही तैयारी

रायपुर। बलौदाबाजार में सोमवार को समाज विशेष के धरना प्रदर्शन के दौरान उग्र हुई भीड़ ने कलेक्टर-एसपी दफ्तर सहित पूरे कैंपस में करीब डेढ़ सौ गाड़ियों में आग लगा दी। तहसील दफ्तर भी नहीं छोड़ा। उपद्रवी लोगो की पहचान और फिर उनकी गिरफ्तारी के लिए भले ही पुलिस सोशल मिडिया के हजारों क्लिप्स और वीडियो की बारीकी से छानबीन शुरू कर दी है और पुख्ता पहचान के बाद ताबड़तोड़ गिरफ्तारी होनी भी संभव है लेकिन अब इस घटना के बाद प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि जब जिला प्रशासन की तरफ से धरना प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी और समाज के युवाओं द्वारा सोशल मीडिया में इस प्रदर्शन में ज्यादा से ज्यादा लोगों के पहुंचने की अपील भी की जा रही थी, तब भी प्रशासन ने  आंदोलन से निपटने तैयारी क्यों नहीं की? प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों को पहले से ही वार्ता के लिए क्यों नहीं बुलाया?प्रदर्शन की अपील को लेकर यह भी जानकारी छन कर आ रही है कि  भीम सेना और प्रगतिशील सतनामी समाज की तरफ से धरना प्रदर्शन की अनुमति ली गई थी। इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए लगातार समाज के नेता अपील कर रहे थे। अपील का असर ऐसा था कि निजी संस्थानों मे काम करने वाले समाज के कई युवको ने सोमवार को अपने www अपने दफ्तरों से छुट्‌टी ले रखी थी। कई निजी कंपनियों और फर्मों में काम करने वालों से जब पूछा गया कि रविवार को छुट्‌टी होने के बाद भी सोमवार को आप छुट्‌टी क्यों मांग रहे हैं तो कर्मियों ने बताया कि उन्हें बलौदाबाजार के धरना प्रदर्शन में शामिल होना है। छुट्टी के लिए जब इंकार किया गया तो नौकरी छोड़ने तक को लोग तैयार थे।

जानकारी के मुताबिक राजधानी  के एक फर्म के संचालक ने बताया कि उनके स्टाफ ने छुट्टी मांगी थी। उन्होंने छुट्‌टी देने से मना किया तो स्टाफ ने नौकरी छोड़ देने तक की बात कही थी। स्टाफ ने यहां तक कहा कि समाज के लिए नौकरी क्या जान तक दे सकते हैं। इसके बाद उस संचालक ने छुट़्टी दे दी। तब उन्हें पता नहीं था कि इतनी बड़ी घटना हो जाएगी। शाम को जब उन्हें पता चला तो उन्होंने अपने स्टाफ से बात करने की कोशिश की, लेकिन उसका फोन बंद आया। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि इस तरह से करीब दर्जनभर से ज्यादा स्टाफ ने छुट्‌टी ली है।

जानकारी के अनुसार पांच दिन से सोशल मीडिया में सोमवार के प्रदर्शन को लेकर काफी चर्चा चल रही थी। सोशल मीडिया में ही अपील भी की गई थी। रविवार को जब गृह मंत्री विजय शर्मा ने न्यायिक जांच का आश्वासन दिया तो प्रदर्शनकारियों के इस जांच को लेकर नाराजगी जताई थी। इस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बयान को लेकर भी सोशल मीडिया में माहौल गर्म था। इन सब पर नजर रखने का काम इंटेलिजेंस का होता है, लेकिन  आश्चर्य है कि राज्य सरकार के इंटेलिजेंस को इसकी भनक तक नहीं लगी.

आखिर किन अफसरों की नाकामी से हुई इतनी बड़ी घटना?

बलौदाबाजार की इस घटना के बाद प्रशासन के क़ानून व्यवस्था पर किसी तरह का कंट्रोल नहीं होने से लेकर इंटेलिजेंस फेल के दावे किए जा रहे हैं। बलौदाबाजार की डीएसबी, एलआईबी के साथ राज्य इंटेलिजेंस को भी इस प्रदर्शन के इतने भयानक रूप लेने की भनक नहीं लगी। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस पूरी घटना के लिए एक आईएएस और तीन आईपीएस को जिम्मेदार माना जा रहा है। बलौदाबाजार कलेक्टर केएल चौहान, एसएसपी सदानंद कुमार, रायपुर आईजी अमरेश मिश्रा और आईजी इंटेलिजेंस अमित कुमार का पूरा सिस्टम फेल रहा है।

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