बिलासपुर ।जब राजनैतिक सलाहकार ही अमित जोगी का साथ छोड़ दे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि जोगी कांग्रेस में अब कुछ भी ठीक नहीं है और पार्टी के लोग लगता है अमित जोगी से उनके व्यवहार से उकता गये है । एन चुनाव के ठीक पहले 3 ऐसे नेताओ ने अमित जोगी और जोगी परिवार से नाता तोड कांग्रेस में शामिल हो गये जो जोगी परिवार के अति विश्वसनीय समझे जाते थे । समीर अहमद बबला तो अमित जोगी के राजनैतिक सलाहकार के तौर पर साथ खड़े थे मगर उसने भी अमित को बाय बाय कह दिया । अजीत जोगी के जीते जी दो युवा नेता पंकज सिंह और समीर अहमद बबला जय और वीरू की जोड़ी की तरह जोगी परिवार के साथ खड़े थे मगर पंकज सिंह विधान सभा चुनाव के पहले ही टी एस सिहदेव के साथ हो लिए और अजीत जोगी के साथ सिर्फ समीर अहमद बबला ही रह गए मगर पंकज सिंह देर से सही बबला को कांग्रेस में लाने कामयाब रहे ।समीर अहमद अमित जोगी के सबसे बड़े विश्वासपात्र थे मगर आखिर ऐसी क्या बात रही कि उसे कांग्रेस की शरण लेनी प डी।इसका खुलासा आने वाले दिनों में समीर अहमद खुद कर देगा ऐसी उम्मीद है ।
मरवाही विधानसभा क्षेत्र में नित नए राजनैतिक समीकरण बन रहे है । निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव की तिथि भी घोषित कर दी है ।शुक्रवार को नामांकन तिथि के पहले दिन भले ही एक भी नामांकन जमा नहीं हो सका मगर जोगी कांग्रेस में तगड़ा झटका जरूर लगा । यह झटका यही ख़त्म हो जायेगा ऐसा लगता तो नहीं ।अमित जोगी और पूरे जोगी परिवार के लिए अब परीक्षा की घड़ी है ।
उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हुई और इसी दिन छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विश्वसनीय 3 बड़े नेताओं ने उनका दामन झटक कर कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया. पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के साथ ही लगातार जनता कांग्रेस कमजोर हो रही है। अमित जोगी का नेतृत्व काफी लोगो को रास नहीं आ रहा है एक-एक कर पुराने साथी छिटक रहे हैं। मरवाही चुनाव से पहले जोगी परिवार के बेहद करीबी और विश्वसनीय समीर अहमद बबला ने अपने साथी पंकज तिवारी और शिवनारायण तिवारी के साथ कांग्रेस प्रवेश किया। राजधानी रायपुर में इन तीनों नेताओं ने एक बार फिर से कांग्रेस में आस्था जाहिर कर दी है। मरवाही उपचुनाव में इसका विपरीत असर जोगी कांग्रेस पर नहीं होगा ऐसे कैसे हो सकता है अब तो अमित जोगी को पार्टी के इस बिखराव को रोकने अपनी रणनीति बदलनी होगी अन्यथा नुकसान के सिवाय हाथ में कुछ नहीं आयेगा ।