बिलासपुर ।भानुप्रतापपुर में ट्रेनिंग काल के दौरान जमीन के नामांतरण के लिए एक किसान से 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते एसीबी की टीम द्वारा पकड़े गए रणवीर शर्मा के खिलाफ उसी दौरान कारवाई हो जाती तो सूरजपुर में कलेक्टर के रूप में वे ऐसी हरकत नही करते लेकिन भानुप्रतापपुर की घटना में आई ए एस लाबी के दबाव और तत्कालीन सी एस की सक्रियता के चलते ट्रैप मामले में एक निरीह चपरासी को अभियुक्त बनाकर जेल भिजवा दिया गया और पूरे मामले को रफा दफा कर मुख्य आरोपी को बचा लिया गया मगर सूरजपुर की घटना से स्पष्ट हो गया कि निरीह चपरासी और उसके परिवार की हाय कलेक्टर को लग गई ।कलेक्टर और आई ए एस अधिकारी भले ही नौकरशाह के रूप में शासन का अभिन्न अंग होते है और सरकार चलाने में योगदान देते है मगर यह भी कटु सत्य है कि कलेक्टर जनता के नौकर होते है मगर होता उल्टा है वे जनता को नौकर और खुद को भगवान समझ बैठते है ।सूरजपुर की घटना और मुख्यमंत्री की फौरी कारवाई से तमाम आई ए एस अधिकारियों को सबक लेने की जरूरत है साथ ही तमाम जनप्रतिनिधि को भी यह समझ लेना चाहिए कि जनता जनार्दन ही सर्वोपरि है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की फौरी कारवाई से यह कहने में जरा भी संकोच नही होना चाहिए कि शाबास सी एम ! मुख्यमंत्री हो तो ऐसा ही हो ।श्री बघेल के द्वारा कलेक्टर की हरकत के लिए पीड़ित परिवार से खेद जताने के बाद मामला समाप्त समझा जाना चाहिए ।श्री बघेल ने तत्काल निर्णय ले सरकार की बदनामी होने से बचा लिया ।कलेक्टर रणवीर शर्मा के चरित्र जैसे वाले अधिकारियों की राजस्व विभाग में कमी नही है और हर जिले में ऐसे अधिकारी मिल जायेंगे मगर अब ऐसे अधिकारियों को भी अपनी कार्यशैली और नजरिया बदलना होगा ।
क्या है पूरा मामला? पढ़ें
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के कलेक्टर रणवीर शर्मा (अब हटाए गए) ने, जिन्हें लगता है कि आम आदमी की हैसियत उनके सामने कुछ भी नहीं है। पता नहीं कौन सा फ्रस्ट्रेशन लेकर घर से निकलते हैं ऐसे प्रशासनिक अधिकारी। लोग अपनी फरियाद लेकर कलेक्टर के पास जाते हैं लेकिन आम लोगो को देख कर घृणा करने वाले रणवीर शर्मा जैसे कलेक्टर ने बिना किसी वजह के ही युवक को तमाचा जड़ दिया और उसका मोबाइल पटक कर तोड़ दिया।घटना शनिवार की थी और लाक डाउन में कलेक्टर ने अपनी औकात दिखा दी ।जनता का नौकर होने के बजाय उन्होंने स्वयं को भगवान समझ लिया
और कानून में क्या उचित अनुचित है सोचे बगैर उनके साथ मौजूद पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने भी युवक की बेवजह पिटाई कर दी। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ तो कलेक्टर की थू थू होने लगी। आंच राज्य सरकार तक भी पहुंची। मामले का सबसे सुखद पहलू यह रहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिना वक्त गंवाए ऐसे निरंकुश कलेक्टर की कड़ी निंदा करते हुए उसे तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया। सूरजपुर कलेक्टर रणबीर शर्मा द्वारा युवक की पिटाई का वीडियो अगर किसी ने ना बनाया होता और उसे वायरल ना किया होता तो बहुत मुमकिन है कि इस तरह की कोई कार्यवाही नहीं होती। मुख्यमंत्री ने स्वयं ट्वीट कर कहा कि किसी भी अधिकारी का शासकीय जीवन में इस तरह का आचरण स्वीकार्य नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने घटना के प्रति दुख जताते हुए पीड़ित युवक और उसके परिवार जनों से खेद व्यक्त किया है। । वैसे इस सबके बीच मुख्यमंत्री के इस सराहनीय पहल की पूरे प्रदेश में तारीफ हो रही है। इस विवादित अधिकारी के कारनामे कम नहीं है । बिलासपुर के मरवाही में एक भालू की गैर कानूनी हत्या का आरोप भी इसी नौकर शाह पर है । खैर रणवीर शर्मा के हाथ से कलेक्ट्री छीन कर उन्हे मंत्रालय में उप सचिव बना दिया है और गौरव कुमार को उनकी जगह सूरजपुर का कलेक्टर नियुक्त कर दिया गया है ।