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November 21, 2024 10:45 am

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शासकीय उच्च.माध्य.शाला सेमरताल में तीन शिक्षको को एक साथ समारोह पूर्वक दी गई बिदाई


बिलासपुर ।– शा.उ.मा.शाला सेमरताल में बुधवार को एक साथ तीन शिक्षकों की सेवानिवृति पर विदाई समारोह का आयोजन किया गया। कोरोना गाईडलाईन का पालन करते हुए आयोजित इस अभूतपूर्व आयोजन के प्रारंभ में मुख्यअभ्यागत लक्ष्मीकुमार गहवई अध्यक्ष शाला विकास एवं प्रबंध समिति एवं प्राचार्य सुनीता शुक्ला ने वीणावादिनी माँ सरस्वती की प्रतिमा की पूजा की।

प्राचार्य शुक्ला ने शाला के अध्यक्ष गहवई व रामनाथ तिवारी, दिनेश्वर दास वैष्णव एवं राजेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। प्राचार्य का स्वागत व्याख्याता सीमा ठाकुर ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया। मंचासीन सभी अभ्यागतों का तिलक लगाकर स्वागत व्याख्याता राजेश शर्मा ने किया। सेवानिवृत्त शिक्षक दिनेश्वरदास वैष्णव, प्रधानपाठक रामनाथ तिवारी और लेखापाल राजेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी का माल्यार्पण से स्वागत शाला के व्याख्याता क्रमशः अनिल वर्मा, राजेश शर्मा, हिमाशु पुनवा ने किया।

विदाई समारोह में सपत्निक उपस्थित तीनों सेवानिवृत्त शिक्षकों की धर्मपत्नियों का माल्यार्पण से स्वागत व्याख्याता ज्योति यादव, राजेश्वरी देवांगन और रुपाली श्रीवास्तव द्वारा किया गया। सेवानिवृतत शिक्षकों का माल्यार्पण से सम्मान रामगोपाल भास्कर, सुखनंदन यादव, मंहगु बघेल, रामकृष्ण साहू , बलराम वासपेयी, देवशरण भार्गव ने किया।
इस अवसर पर स्वागत भाषण देते हुए अनिल वर्मा ने कहा कि आज इस गरिमाशाली मंच पर जो लोग विराजमान हैं, वे परमात्मा द्वारा प्रदत्त अपनी जिम्मेंदारियों का शानदार निर्वहन कर चुके हैं। ऐसे अनुभव के सागर दुर्लभ हैं। इनके एक एक शब्द हमारे लिए किसी मंत्र से कम नहीं है। आज शिक्षक के सिर पर जिम्मेंदारियों का पहाड़ है। शासन, समाज और परिवार के लिए जीते जीते, शिक्षक के जीवन का महत्वपूर्ण समय बीत जाता है। वह कभी अपने लिए जी पाए, इसके लिए अवकाश नहीं होता। शिक्षक कर्ज लेकर अपने बच्चों की शादी करता है, कर्ज लेकर मकान बनाता है। पूरा जीवन कर्ज उतारने में ही बीत जाता है। फिर भी वह कभी परेशान या अशांत नहीं होता। वह इस बात से संतुष्ट होता है कि उसके पढ़ाए विघार्थी पुलिस, डाक्टर, इंजीनियर और अधिकारी बन गए हैं। कभी किसी मोड़ पर कोई पुराना छात्र जब पैर छूकर अपने शिक्षक को प्रणाम करता है, तो यह शिक्षक के लिए संसार का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है।
शाला परिवार की ओर से सेवानिवृत्त शिक्षकों को शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र भेेंट किया गया। इस अभूतपूर्व आयोजन में सेवानिवृत्त शिक्षकों ने पति पत्नी एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर बीते पल को ताजा किया। विदाई समारोह में स्कूल की ओर से अनिल वर्मा के द्वारा लिपिबद्ध अभिनंदन पत्र का वाचन राजेश्वरी देवांगन, जागेश्वरी पाण्डेय एवं रुपाली श्रीवास्तव ने किया। राजेश शर्मा, सीमा ठाकुर, नमिता बेहार शर्मा ने शिक्षकों से जुड़ी प्रसंगो पर अपने विचार व्यक्त किया। सेवानिवृत्त शिक्षक दिनेश्वर दास वैष्णव ने अपने आशीर्वचन में कहा कि मैंने अपने सेवाकाल में सहशिक्षकांे के साथ विनोदपूर्ण व्यवहार, परस्पर सहयोग, और अध्यापन को प्राथमिकता दी है। अब मैं अपनी रुचि के कार्य ज्योतिष पर अधिक ध्यान दे पाउंगा ताकि समाज का कल्याण होता रहे। रामनाथ तिवारी ने कहा कि स्कूल में अनुशासन, समय की पाबंदी और कागजातों को अघतन बहुत जरुरी है। मैंने अपने अधिनस्थ कर्मचारियों से रुखा व्यवहार किया हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ। लेखापाल चन्द्रवंशी ने भी अपने दीर्घकालीन सेवा के अनुभव बाँटे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यअभ्यागत लक्ष्मीकुमार गहवई ने कहा कि शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते। बल्कि शासकीय सेवा के बाद पारिवारिक और सामाजिक दायित्व ज्यादा बढ़ जाते हैं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य शुक्ला मैडम ने तीनों शिक्षकों के बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना की। उनकी लंबी सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता वर्षा भट्ट ने किया।
सेवानिवृत्त शिक्षकों ने अपने परिवार के साथ स्कूल परिसर में नीम के पौधे भी लगाए। कार्यक्रम में पूर्व प्रधान पाठक यदुनंदन कौशिक मौजूद रहे। आयोजन में स्कूल की व्याख्याता ज्योति यादव, शैली यादव, पदमा द्विवेदी, अनुप नूतन कुजूर व कार्यालय के रामगोपाल भास्कर ,सुखनंदन यादव , रामकृष्ण साहू , बलराम वासपेयी , देवशरण भार्गव, महंगु बघेल , एवं प्रकाश यादव का सराहनीय सहयोग रहा।

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