बिलासपुर। चुनाव निकट है।टिकट पाने और टिकट मिल गई तो दावेदार तमाम तरह के पैतरेबाजी करेंगे ।कुछ लोग राजनीति में घूटे हुए पीर है जो साल भर पहले ही टिकट मिलने की चिंता छोड़ चुनाव लडने नही बल्कि चुनाव जीतने की पैतरेबाज़ी में लग गए है ।जिन्हे कभी चुनाव प्रबंधन में माहिर कहा जाता था वे भी अंदर ही अंदर टिकट को लेकर सशंकित है।मगर उनके विरोधी चाहते है कि टिकट उन्हें ही मिले।
लोकसभा चुनाव जीतने जिस तरह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारी है उसी तरह बिलासपुर में राम कथा का आयोजन कर विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने की जुगत दस माह पहले से की जा रही है । हर चुनावी साल में रामकथा का वृहद आयोजन होता है लेकिन पिछले चुनाव के रामकथा आयोजन से राजनैतिक लाभ नहीं मिल पाया ।समय काल के अनुसार राजनैतिक परिस्थियां बदलती रहती है अब तो देश की धर्मभीरू जनता को धर्म की अफ़ीम सुनियोजित रूप से ऐसा चटाया जा चुका है कि अब लोगो को मंहगाई,बेरोजगारी, बेरोजगारों को नौकरी जैसे अहम मुद्दों से कोई मतलब नहीं है।अफ़ीम का नशा सिर चढ़कर बोल रहा है।अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवाने वाले लोकसभा चुनाव में बहुमत की चिंता करें,हमे तो रामकथा करवाने वाले भैया की चिंता है ।हम तो यही कहेंगे कि “तेरा रामजी करेंगे बेड़ापार ,उदासी मन काहे को डरे”
रामकथा के आयोजन में शामिल होने और कथा का श्रवण लाभ करने का न्यौता “भैया” ने शहर के तमाम के मतदाताओं को भिजवाया,बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र के वोटर लिस्ट को निकलवाकर “भैया” ने सबको आमंत्रण भिजवाया। क्या हिंदू क्या मुसलमान ,क्या सिक्ख और क्या ईसाई ,”भैया” ने कोई भेदभाव नहीं किया और सांप्रदायिक सद्भाव का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हुए सबको बूथ क्रमांक के साथ आमंत्रण पत्र भिजवाया ।अब तो उनका हक बनता है कि हर वर्ग का वोट वे हासिल करें । हमने तो पहले ही कह दिया है “तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे” वैसे शहर के संपन्न और मध्यम वर्गीय परिवारों के घरों में बर्तन,झाड़ूपोछा करने और खाना बनाने वाली “बाई” लोगो का वोट “भैया”को मिलना तय है क्योंकि “भैया” ने इन “काम वाली बाईयो” का रामकथा आयोजन में निकाले गए कलश यात्रा में विशेष ध्यान रखा है। ” भैया” के द्वारा काम वाली बहनों को दिए गए तात्कालिक सहयोग का पूरा लाभ मिलेगा ऐसी उम्मीद है।
बड़ा प्रश्न यह है कि” भैया “की पार्टी बड़ी बेदर्दी के साथ अपने स्थापित नेताओ का टिकट काट देती है। कई राज्यों के चुनाव में टिकट वितरण इसका उदाहरण है।हिमांचल प्रदेश में टिकट नहीं काटा गया तो सरकार चली गई जबकि छत्तीसगढ़ में तो भाजपा की सरकार ही नहीं है ,ऐसे में छत्तीसगढ़ में फिर सरकार बनाने भाजपा टिकट वितरण में ज्यादा सतर्कता बरतेगी। हो सकता है टिकट वितरण में आमूलचूल परिवर्तन कर दे अभी तो छत्तीसगढ़ के सभी 14 विधायको के सीने में धूकधुकी हो रही है क्या पता किसको घर बिठा दिया जाए और किसको संगठन में जिम्मेदारी दे दी जाए।ऐसे में किसी हारे हुए प्रत्याशी को टिकट मिल जाए तो यह चमत्कार ही होगा ।वैसे “भैया” की दिल्ली तक पहुंच है और उन्होंने कई “परिक्रमा”भी कर लिया है ।
एक बात और है याद करें पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ बृजमोहन अग्रवाल और को छोड़ कर भाजपा के सारे गैर छत्तीसगढ़िया प्रत्याशी बुरी तरह पराजित हो गए थे । खुद डा रमन सिंह को राजनांदगांव में कांग्रेस प्रत्याशी और डा रमन सिंह के घोर विरोधी रही करुणा शुक्ला ने ऐसी कड़ी टक्कर दी थी कि वे हारते हारते बचे थे। बस्तर से सरगुजा तक किसी भी आदिवासी ने एक दूसरे को कम से कम फोन लगाकर यह तो नही कहा था कि भाजपा को हराना है लेकिन बस्तर से सरगुजा तक आदिवासियों ने भाजपा की बैंड बजा कर रख दी थी ।भाजपा में टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाने वाले नेता और संघ के पैरोकारों को यह तो याद ही होगा कि पिछले चुनाव में प्रदेश की जनता ने भाजपा के गैर छत्तीसगढ़िया प्रत्याशियों को नाकों चने चबवा दिए थे अगर यह बात स्मरण होगा तो दस माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में गैर छत्तीसगढ़िया भाजपा नेताओं को टिकट देने के पहले सौ बार सोचेंगे अन्यथा पिछले चुनाव नतीजे की पुनरावृति हो सकती है।
एक बात और लगातार 20 वर्षो तक विधायक रहने वाले पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के बारे में यह सर्व विदित है कि उनका चुनावी प्रबंधन बेहतर रहता है और चुनावी नतीजे आने के दूसरे ही दिन से अगले चुनाव की तैयारी में जुट जाते है मगर पिछले चुनाव में उन्होंने ऐसी क्या बड़ी भूल कर बैठे कि हार का सामना करना पड़ा। क्या उनके ईर्द गिर्द रहने वालों ने उन्हें दिग्भ्रमित करके रखा जिसकी भनक तक उन्हे लग पाई।
सवाल यह भी कि क्या पिछले चुनाव में कांग्रेसी मित्रों ने साथ नहीं दिया?इस बार टिकट मिलता है तो क्या उन कांग्रेसी मित्रों को सहेजने का प्रयास भी होगा ? आखरी में हम फिर यही कहेंगे”तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार ,उदासी मन काहे को डरे।
Mon Feb 27 , 2023
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