बिलासपुर / (विक्रम सिंह ठाकुर)जिले के जनपद पंचायत कोटा के 103 पंचायतों में करीब 10 वर्षों से की गई ऑडिट रिपोर्ट में लाखों रूपए की गड़बड़ी पाई गई है, लेकिन ऑडिट में जो आपत्तियां आई है अर्थात गड़बड़ी पाई गई है। जिसका पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया है। उसे अब तक सचिवों के द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है। जनपद सीईओ से मिलीभगत कर पिछले 10 वर्षों से तमाम सचिव अपने आपको बचा रहे है। नियमों के अनुसार करीब तीन माह के भीतर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाना रहता है। जिले के अधिकारी भी नोटिस जारी किया गया है, उचित कार्रवाई की जायेगी कहकर पल्ला झाड़ रहे है।सवाल यह है कि हर वर्ष ऑडिट के आपत्तियों पर तय समय सीमा में पालन प्रतिवेदन के लिए सख्त निर्देश और कार्रवाई क्यों नही की जाती? ऐसे सचिवों को किनका संरक्षण मिला हुआ है? लाखो रुपए की वित्तीय गड़बड़ी के जिम्मेदार लोगो को कौन बचाता है और कार्रवाई क्यों नही की जाती?
पंचायतों का वार्षिक लेखा जोखा का जिला ऑडिटर के द्वारा प्रतिवर्ष ऑडिट किया जाता है और गड़बड़ी के पाए जाने पर सुधार करवाया जाता है। इस मामले में कोटा विकासखण्ड जिले में सबसे पीछे चल रहा है। बिल्हा, तखतपुर और मस्तूरी विकासखण्ड में ऑडिट के बाद आपत्तियों पर पालन प्रतिवेदन के लिए तय समय पर कार्रवाई की जाती है। कोटा विकासखण्ड में करीब सौ पंचायतों का यही हाल है और सालों से आपत्तियों का निराकरण नहीं कराया गया है। जबकि ऑडिट में लाखों रूपए की गड़बड़ी पाई गई है।
शासन के विभिन्न योजनाओं से पंचायतों को प्राप्त राशि का सरपंचोंतथा सचिवों के द्वारा दुरूपयोग किया गया है। इसी कड़ी में कोटा के पूर्व सरपंचों एवं सचिवों से पहले भी करीब डेढ़ करोड़ रूपए गबन की राशि वसूल नहीं हो पाई है। हालांकि पंचायत राज अधिनियम की धारा 92 की तहत गबन की राशि वसूली का अधिकार संबंधित एसडीएम के पास होता है। लेकिन जनपद पंचायत सीईओ द्वारा पूरे मामले की निगरानी की जाती है। इस तरह कोटा विकासखण्ड में करोड़ रूपए पूर्व पंचायत पदाधिकारियों से वसूल की जानी है लेकिन अब नहीं हो पाई हैं
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उचित कार्रवाई की जाएगी
ऑडिट रिर्पोट में जो आपत्तियां आती है, उनके निराकरण करने के लिए भी समय सीमा तय रहता है, लेकिन पंचायत सचिवों के द्वारा ऑडिट आपत्तियों का निराकरण क्यों नहीं कराया जा रहा है। इसकी जानकारी जिला ऑडिटर से लूंगा फिर उचित कार्रवाई की जाएगी।
अजय अग्रवाल, सीईओ जिला पंचायत, बिलासपुर
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नोटिस जारी किए है।पंचायतों का वार्षिक लेखा जोखा का प्रति वर्ष शासन के आदेशानुसार ऑडिट किया जाता है और जो आपत्तियां आती है उनके निराकरण के लिए नोटिस जारी की जाती है, लेकिन कईपंचायतों का आर्थिक लेखा-जोखा का प्रति वर्ष शासन के आदेश अनुसार ऑडिट किया जाता है और उनके निराकरण के लिए नोटिस जारी की जाती है लेकिन कई पंचायतों के सचिवों के द्वारा अब तक पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
अशोक धीरही, जिला ऑडिटर, बिलासपुर