बिलासपुर ।भारतीय जनता पार्टी ने भले ही चुनाव जीतने महतारी वंदन योजना की घोषणा कर सरकार बनने के बाद लाखो महिलाओ को हर माह एक एक हजार रुपए देने की घोषणा कर जरूरतमंद महिलाओ को लाभ पहुंचाने का काम किया है लेकिन सरकार के स्वास्थ्य विभाग सब कुछ ठीकठाक चल रहा है ऐसा भी नहीं है ।सरकारी अस्पतालों में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में महिला मरीजों खासकर गर्भवती महिलाओ के इलाज में लापरवाही बरते जाने की शिकायते मिल रही है।महिला चिकित्सक लापरवाही बरत रही है। बिलासपुर कलेक्टर हाईकोर्ट के निर्देशों के कारण सिम्स की अव्यवस्था सुधारने लगातार औचक निरीक्षण कर रहे है जिससे सिम्स की व्यवस्था में सुधार आया है लेकिन कलेक्टर महोदय को ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों का भी औचक निरीक्षण करना चाहिए खासकर महिलाओं के उपचार को लेकर ।
शिकायते मिल रही है कि बिल्हा के सरकारी अस्पताल मे रोज प्रसूती के लिए आई महिलाओं की जान को वहां के डाक्टर जोखिम मे डालते है। सब सुविधाओं से सम्पन इस अस्पताल मे बगैर ब्लड सुविधा के प्रसूती कराई जा रही हैं। किसी दिन बड़ी घटना होगी तब इस अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों को होश आएगा। यह पूरी लापरवाही जानबूझकर की जा रही है। सब नियमों को समझते हुए की जा रही है ।ऐसा लगता है कि गायनिक डॉक्टर को राजनैतिक संरक्षण है। तभी तो चिकित्सकीय निर्देशों की अवहेलना लगातार की जा रही हैं। अस्पताल के लैब में चर्चा करने पर पता करने पर पता चला कि सिजेरियन के प्रकरण एक माह में काम से कम 10 होते हैं। हर माह औसतन 150 डिलीवरी होती है। सिजेरियन के पहले ना तो ब्लड ग्रुप, ना क्रॉस मैचिंग ना ही हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। पुराने रिपोर्ट को आधार मानकर सिजेरियन कर दिया जाता है। बड़ी धनराशि खर्च होने के बाद इस अस्पताल में ब्लड स्टोरेज की सुविधा तो है पर यह अभी चालू नहीं है। इसी का लाभ लेकर प्रस्तुति विशेषज्ञ आउटसोर्सिंग के माध्यम से कमीशन खा रहे है। अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ लगातार कई सालों से यही पदस्थ है अस्पताल के पास ही उनका आवास है जहां पर अल सुबह से ही मरीजों का आना शुरू हो जाता है। बिल्हा अस्पताल की ओपीडी में बैठने के पहले वे सरकारी आवास में सेवाएं देती है। ओपीडी के बाद फिर से सरकारी मकान अस्पताल बन जाता है।
सूत्र यहां तक बताते हैं कि सामान्य प्रसव को सिजेरियन के स्तर पर ले जा कर सरकारी अस्पताल रेफर किया जाता है। यहां निशुल्क सिजेरियन होता है और एक प्रसूति के पीछे प्रसूता को ₹1400 का भुगतान होता है पर डॉक्टर अपनी फीस निजी स्तर पर मरीज से ले लेते हैं। मरीज का परिवार फिर भी इसलिए खुश होता है कि उसे डिलीवरी के लिए बिलासपुर नहीं जाना पड़ा।
Wed Mar 6 , 2024
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