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November 21, 2024 8:55 pm

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नसबंदी शिविर में 13 महिलाओं और 5 पुरुषों की मौत मामले में 6 साल बाद 2 ड्रग इंस्पेक्टरों पर गिरी निलंबन की गाज , भाजपा शासन में हुई थी मौतें , कांग्रेस शासन में सत्तापक्ष के विधायकों शैलेष पांडेय और रश्मि सिह ने उठाया मामला कहा दोषियों को बचाया जा रहा

बिलासपुर । वर्ष 2014 में नसबंदी शिविर के दौरान 13 महिलाओं और 5 पुरुषों की मौत के 6 साल बाद राज्य सरकार ने दो ड्रग इंस्पेक्टर को निलंबित करने का आदेश दिया है ।
ज्ञात हो कि वर्ष 2014 में बिलासपुर जिले के ग्राम पेंडारी के नेमी चंद जैन निजी अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन योजना के तहत नसबंदी शिविर लगाई गई थी । इस शिविर में 83 महिलाओं की नसबन्दी की गई ।

इस नसबंदी शिविर में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही बरतने में कोई कसर नही छोड़ी यहाँ तक कि नसबंदी के बाद महिलाओं को नीचे प्लास्टिक की तालपत्री में सुलाया गया था , इन महिलाओं को दर्द निवारक की दवाएं आईब्रूफेन और सिप्रोसीन दी गई थी जिसके सेवन से तीन दिन एक बाद एक 13 महिला 5 पुरुष कुल 18 लोगों की मौत हो गई। नसबंदी कांड में मारी गई महिलाओं की पोस्टमॉर्टम और कल्चर रिपोर्ट में भी ज़हर की बात सामने नहीं आई इसमें महिलाओं की मौत के पीछे संक्रमण की आशंका जताई गई.

इस दर्दनाक घटना से पूरे देश का ध्यान बिलासपुर पर गया और देश विदेश के बड़े अखबार और टीवी चैनल घटना की खबर को कव्हरेज करने बिलासपुर आये । घटना भाजपा शासन काल मे हुई थी तब स्वास्थ्य मंत्री बिलासपुर के विधायक अमर अग्रवाल थे और इतनी बड़ी घटना के बाद भी उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था यहां तक कि उन्होंने घटना के लिए स्वास्थ्य विभाग का मुखिया होने के नाते जिम्मेदारी लेने से भी इंकार कर दिया था उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने पूरे घटनाक्रम को अपने ऊपर लेते हुए तनाव के सारे माहौल को झेलने के लिए आगे आ गए । इतनी बड़ी घटना के बाद तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी बिलासपुर आने की हिम्मत नही जुटा पाए थे ।

रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की मौत संक्रमण से होने वाली सेप्टिसिमिया, सेप्टिक शॉक और पेरिटोनिटिस से हुई है। अलग-अलग जांच में भी यह साफ हुआ कि महिलाओं की नसबंदी जिस मशीन से की गई, उसे संक्रमणमुक्त नहीं किया गया था जिन परिस्थितियों में महिलाओं का ऑपरेशन किया गया, वहां संक्रमण का ख़तरा लगातार बना हुआ था।
गौर करने वाली बात यह है महिलाओं के गर्भाशय में इंफेशन पाया गया यानी मौत ऑपरेशन से नही बल्कि जहरीली दवाओं के सेवन से हुआ था ।इन दवाओं की खरीदारी पूर्व सीएमओ अमर सिंह ठाकुर के कार्यकाल के दौरान हुआ था और नसबन्दी कांड के वक्त श्री ठाकुर ज्वाइंट डायरेक्टर के पद थे । उनके ऊपर दवाओं की खरीदारी के दौरान सारे मापदण्डों को दरकिनार कर मनमानी तरीके से खरीदी करने के आरोप लगे थे । वहीं डॉ.आरके भांगे सीएमओ का कार्यभार कुछ ही हफ्ते पहले बीता था कि नसबंदी की घटना घटित हो गई । जिसके बाद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने घटना का सारा ठीकरा आपरेशन करने वाले डॉक्टर आरके गुप्ता और डॉ. भांगे के सर फोड़ा और कटघरे में दोषी करार देते हुए खड़ा कर दिया और दवाओं की खरीदारी करने वालों को बचाते हुए उनका तबादला रायपुर कर दिया ।मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद तत्कालीन राज्य शासन द्वारा आरोपी बनाये गये दोनो डॉक्टरों के खिलाफ दोष सिद्ध नही होने से हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया । इस घटना के असल जिम्मेदार कौन है इस बात से हर कोई वाकिफ है ।

मगर एक बार फिर 13 महिलाओं की मौत का मामला सत्ता पक्ष के ही विधायकों ने उठाया । जिन्हों ने नसबंदी कांड की जांच कराने तथा असल दोषियों को सजा दिलाने की मांग की । इस मसले पर विधायक शैलेष पांडेय और रश्मि आशीष सिंह मुखर रहे ।

तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रहे अमर अग्रवाल को विधानसभा चुनाव में पराजित कर इतिहास रच देने वाले बिलासपुर के कांग्रेस विधायक शैलेष पांडेय ने कहा कि यह एक ऐसा गम्भीर मसला था जिसमें 13 महिलाओं की मौत हुई मगर , उसमें कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई दोषियों को बचाने के लगातार प्रयास होते रहे । यह खेदजनक है असली दोषियों को बचाने की बात हो रही है तखतपुर विधायक रश्मि आशीष सिंह ने कहा इस मसले को लेकर हम लोग न्याय यात्रा निकाले थे और हमारी ही सरकार में न्याय नहीं हो रहा है ।
इसपर स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने राजेश क्षत्री सहायक औषधी निरीक्षक और धर्मवीर ध्रुव औषधी निरीक्षक को निलंबित किए जाने की घोषणा की है ।

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