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November 21, 2024 7:56 pm

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इंतहा हो गई मंत्रियों को विभाग आबंटन की प्रतीक्षा,मंत्री,विधायक पार्टी पदाधिकारी,कार्यकर्ता,अधिकारी सब उहापोह में

बिलासपुर। पूरे प्रदेश में असमंजस और उहापोह की स्थिति है।मंत्री से लेकर पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता तक मंत्रिमंडल में विभाग का इंतजार करते करते थकने लगे है लेकिन भाजपा के रणनीतिकार जो सीएम से लेकर मंत्री बनाने तक में अहम भूमिका निभाई है वे मंत्रियों को विभाग का दायित्व तय करने में इतनी देरी क्यों कर रहे और इसका कारण क्या है इन प्रश्नों का जवाब भाजपा के किसी भी नेता के पास नही है ।बनाए गए मंत्री (खासकर पहली बार चुनाव जीत कर विधायक बने) तो बड़े पशोपेश में है वे दौरा भी नही कर पा रहे।सरकारी गेस्ट हाउस और सर्किट हाउस के कर्मचारी भी अचंभित हैं कि बिना विभाग बंटे कोई मंत्री आ जाता है तो उनके स्वागत सत्कार में होने वाले खर्च का भुगतान कौन विभाग करेगा ?मंत्री बनाए गए विधायक के समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता भी इस बात को लेकर परेशान कि फिलहाल वे किस विभाग में जाएं ।मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की बात तो समझ में आती है कि वे मुख्यमंत्री है लेकिन दोनो उप मुख्यमंत्री और बनाए गए 9 मंत्रियों के पास फिलहाल कोई काम नही है। मंत्रियों को विभाग बंटा नही है लेकिन राजधानी में पार्टी के प्रमुख नेता लोकसभा चुनाव जीतने के लिए तैयारी बैठक में व्यस्त है और विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले वोट को लोकसभा चुनाव तक  न केवल बनाए रखने बल्कि वोट प्रतिशत को और बढ़ाने जोर दिया जा रहा है। कहा जा रहा है जनवरी माह में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशियों का नाम घोषित कर दिया जाने की घोषणा भी की जा रही है। भाजपा कार्यकर्ता मंत्रियों को विभाग बांटने की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे है।अभी तक यही होता आया है कि सरगुजा,कोरबा क्षेत्र के विधायक और मंत्री रायपुर जाते वक्त और रायपुर से लौटते वक्त बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन और सर्किट हाउस में घंटे दो घंटे रुकते थे लेकिन फिलहाल कोई मंत्री ,विधायक नही आ रहे है ।छत्तीसगढ़ भवन और सर्किट हाउस मंत्री ,विधायक विहीन है।पता नही कब से ये भवन मंत्रियों और विधायकों तथा पार्टी कार्यकर्ताओं से गुलजार होगा लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने जब से यह सुना है कि मंत्रियों के साथ एक एक और मुख्यमंत्री के साथ भाजपा संगठन के दो अनुभवी कार्यकर्ता रहेंगे ,उनमें भारी संशय की स्थिति है और वे इसका कई तरह के अर्थ लगा रहे है।भाजपा के नए विधायक जो मंत्री नहीं है वे भी असहज हो रहे है तो पुराने और कई बार के मंत्री रह चुके वरिष्ठ विधायक जिन्हे बेदर्दी पूर्वक पुनः मंत्री न बनाकर सिर्फ विधायक ही रहने को विवश कर दिया गया है ,उनकी हालत तो वही जान सकते है क्योंकि चुनाव जीतने के लिए उन्होंने तमाम तरह की जो मेहनत की थी उसका उद्देश्य पुनः मंत्री बनने का था लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।इधर मंत्रियो को विभाग आबंटित होने में हो रही देरी से तमाम अधिकारी ,कर्मचारी बेहद खुश है और अपने हिसाब से काम कर रहे है भले ही कुछ दिनों के लिए ही क्यों न हो अभी तो वे मंत्रियों के दौरे में होने वाले खर्चों से भी बच रहे है ।

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