बिलासपुर । डेढ़ दशक तक सत्ता में रहने वाली भाजपा के नेता विरोध की राजनीति को भूल चुके है । डेढ़ साल से ऊपर हो गए प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुए मगर विपक्ष के रूप में भाजपा अपने को स्थापित नही कर पाई और न ही इस अवधि में सरकार के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन कर पाई है । पंद्रह साल तक कांग्रेस नेताओं को चुन चुन कर गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ मामला दर्ज करवा पुलिस से पिटाई तक करवा देने वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के नेताओ ने जनहित के मुद्दे पर डेढ़ साल में पहली बार जगहँसाई गिरफ्तारी दी है । गिरफ्तारी की संख्या भी 2 अंकों में नही पहुंच पाई । कांग्रेस भवन शिलान्यास का विरोध करने केवल बयानबाजी तक सीमित भाजपा के नेता घरों में दुबके रहे । यहां तक कि जिला भाजपा संगठन तमाम पदाधिकारी विरोध और गिरफ्तारी के वक्त नदारद रहे । अपने को पार्टी के सक्रिय पदाधिकारी और कार्यकर्ता बताने वाले भाजपा और भाजयुमो के नेता भी अपने घरों से बाहर नही निकले जबकि 2 दिन पूर्व प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णुदेव साय के आने पर उनके साथ खड़े होकर स्वागत करते हुए फोटो खिंचवाने वाले 3 सौ से भी ज्यादा भाजपाई छत्तीसगढ़ भवन में सोशल डिस्टेंश की धज्जियां उड़ाते हुए एकत्र हो गए थे । कांग्रेस भवन के लिए जगह का विरोध करते हुए जिन भाजपा नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था वे चेहरे भी पूरी तरह आज गिरफ्तारी के दौरान गायब थे ।इसे क्या समझा जाये? क्या भाजपा के वे बड़े नेता जिनकी सरकार में रहते हुए तू ती बोलती थी वे वर्तमान सरकार के खिलाफ खुलकर आने में कतरा रहे है या फिर सरकार से कुछ समझौता कर लिए है ?
यह तो निर्विवाद सत्य है कि भाजपा सरकार के दौरान बिलासपुर शहर ही नही बल्कि पूरे सम्भाग में मंत्री अमर अग्रवाल की ही चलती थी चाहे व प्रतयाशी चयन का मामला हो या नीतिगत निर्णय लेने का ।अमर अग्रवाल के निर्णय को भाजपा संगठन और मुख्यमंत्री तक बदल देने की हिम्मत नही जुटा पाते थे ।सत्ता से बेदखल के बाद भी बिलासपुर जिले में भाजपा की बात करें तो अमर अग्रवाल की ही चलती है । प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी अमर अग्रवाल से बाहर नही जा सकते ऐसी स्थिति में बिलासपुर सम्भाग में विपक्ष के नाते सरकार के खिलाफ विरोध भी अमर अग्रवाल के निर्देश पर ही होना तय है यानि आज की गिरफ्तारी का फ्लॉप शो भी अमर अग्रवाल के ही खाते में जायेगा ।
ऐसा लगता है कि सत्ता की राजनीति करते करते भाजपा के नेता विरोध ,प्रदर्शन धरना ,आंदोलन ,गिरफ्तारी आदि को भूल चुके है या फिर सुविधा संतुलन की नीति को अपना रहे है । इनको विरोध की राजनीति कांग्रेस से सीखनी पड़ेगी ।
अब बात करें कोरोना वायरस से सावधानी और सुरक्षा की तो कांग्रेस भाजपा दोनो दलों के नेता ,कार्यकर्ता ,पदाधिकारी और पार्षद लापरवाही बरत रहे है । सार्वजनिक कार्यक्रमो ,सामान्य सभा की बैठक आदि में शामिल हो कोरोना संक्रमित या सस्पेक्टेड लोगो के सम्पर्क में आये दोनो दलों के अधिकांश नेता ,कार्यकर्ता ,पार्षद अपनी कोरोना जांच कराने से कतरा रहे है हालांकि कुछेक लोगो ने परीक्षण कराए है । भाजपा के एक से अधिक नेताओ के कोरोना संक्रमित होने की खबर है मगर वे इस जानकारी को सार्वजनिक करने के बजाय छिपा रहे है जिससे संक्रमित लोगो के बढ़ने की आशंका है । इसके विपरीत नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक की जांच रिपोर्ट जब पॉजिटिव आई थी तो उसके सारे समर्थकों ने न केवल जांच कराई थी बल्कि रिपोर्ट को भी सार्वजनिक किया था । कोरोना संक्रमितों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है उससे खतरा बढ़ गया है ।आमजन को कोरोना से बचाव ,सावधानी तथा सतर्कता के लिए जागरूक करने के बजाय भाजपा -कांग्रेस के अनेक नेता व पार्षद तथा पदाधिकारी या तो अपनी जांच रिपोर्ट छिपा रहे है या फिर जांच करवाने से कतरा रहे है इससे खतरा बढ़ने की पूरी गुंजाइश है ।